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हर साल तकरीबन 3.8 मिलियन लोग इनडोर वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्ट्रोक, निमोनिया, सांस में तकलीफ और कैंसर जैसी बिमारियों के कारण समय से पहले ही मृत्यू का ग्रास बन जाते हैं।

इन परिस्थितियों में अपने आस-पास ही इनडोर प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव को देखते हुए भुवनेश्वर की 23 वर्षीय एक इंजीनियर देबश्री पाढ़ी नें ‘अग्निस’ नामक स्टोव का निर्माण करते हुए बॉयोमास ईंधन और पराली के जलनें से पैदा होने वाली उन दो समस्याओं का हल ढूढ़ निकाला है जो वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

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‘अग्निस’ स्टोव के पॉज़िटीव प्वाइंट्स

‘अग्निस’ स्टोव को लेकर देवश्री पाढ़ी का कहना है कि – “इस स्टोव से कोई प्रदूषक तत्व नही निकलते साथ ही यह स्टोव 0.15 पीपीएम से भी कम कार्बन मोनोआक्साइड रिलीज़ करता है।

‘अग्निस’ स्टोव को जलाने के लिए लकड़ियों की की ज़रुरत भी नही होती।

सबसे अच्छी बात तो इस स्टोव की ये है कि इसे एंड टू एंड कुकिंग तकनीक से खाना बनाने में सामान्य से आधा समय लगता है, इससे केवल 5 मिनट में चावल और 10 मिनट में दाल बन जाते हैं ।

आंखों की जलन , घर की दीवारों का काला होना जैसी परेशानियां भी नही होतीं|

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कॉलेज प्रोजेक्ट के तौर पर मिले काम के दौरान किया ‘अग्निस’ का निर्माण

मैसूर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी कर चुकी देबश्री बताती हैं – “कॉलेज में एक प्रोजेक्ट के दौरान, हमारे विभाग द्वारा किसी ऐसी समस्या का हल ढूढ़नें के लिए कहा गया, जो एक बड़े जनसमुदाय को व्यापक रुप से प्रभावित कर रही हो।

ऐसे में इनडोर वायु प्रदूषण मुझे एक ऐसी समस्या लगी जिसका हल निकलना बेहद ज़रुरी बन गया था, क्योंकि मैनें ये समस्या बेहद करीब से देखी थी, ऐसे में मैं एक धुआंरहित चूल्हा बनानें को उत्साहित हुई।“

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केंद्र सरकार के MSME इंक्यूबेशन प्रोग्राम से और मिला प्रोत्साहन

देवश्री के ‘अग्निस’ स्टोव प्रोटोटाइप के अनेक परिक्षणों पर खरे उतरनें के बाद उनके कॉलेज मैनेजमेंट नें उन्हें भुवनेश्वर में केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लधु, मध्यम एंटरप्राइज़ इंनक्यूबेशन में भाग लेने के लिए कहा।

सकारात्मक पहलू यह रहा कि देवश्री की इस इनोवेशन को मार्किट करने के लिए आयोजकों नें उन्हें 6.25लाख रुपये की धनराशि भी दी गई।

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