कोई खाना खाने के बाद बचे हुए खाने को फेंक देता हैं तो कोई उस फेंके हुए भोजन को खाने के लिए प्रतीक्षा करता हैं जिसको खा कर वह अपनी भूख खत्म कर सके। भूखे को कोई अगर खाना खिला देता है तो वह इंसान उस भूखे इंसान के लिए भगवान बन जाता है और उसे बहुत सारी दुआयें भी मिलती है। अपने परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था तो सभी करते हैं लेकिन दूसरे के भूख का अनुभव सभी को नहीं होता हैं। लेकिन हमारे समाज में कुछ समाजसेवी हैं जो भूखों का पेट भरने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। उनमें से ही एक हैं पंकज गुप्ता। आइए जानतें वह कौन हैं और लोगों की मदद कैसे करतें हैं।
पंकज गुप्ता गुरुग्राम (Gurugram) के रहने वाले हैं। पंकज का सदर बाजार में एक कॉस्मेटिक की दुकान है। पंकज रोज दुकान जाते समय लोगों को कचरे के ढेर से खाना उठाकर खाते हुए देखतें थे तो उन्हें मन ही मन बहुत पीड़ा होती थी। लोगों को इस तरह खाना खाते देखकर पंकज ने उनके लिए कुछ करने का ठान लिया। उनके इस फैसले में उनके परिवार वालों ने भी साथ दिया। उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी पैसों की बचत से दूसरों को सहायता करने में खर्च करेंगे। वह प्रत्येक दिन कम से कम 100 लोगों को भोजन कराने का संकल्प लिया और 14 अप्रैल 2018 को एक देवदूत फूड बैंक (Dewdoot Food Bank) नामक संस्था प्रारंभ किया।
शुरु-शुरु में पंकज ने कैटरिंग से खाना बनाने का ऑर्डर देकर भोजन बनवाकर बांटना आरंभ किये। पंकज गुप्ता ने देवदूत फूड बैंक के माध्यम से सिर्फ 5 रुपये में एक वक्त का भोजन देने लगे। उन्होनें यह भी कहा कि अगर किसी के पास पैसे नहीं तो वह मुफ्त में भी भरपेट भोजन कर सकता हैं। पंकज ने बच्चों के लिए भोजन फ़्री में कर दिया हैं। इस संस्था की मदद से 5 रुपये के प्लेट में दाल, चावल, रोटी-सब्जी, मिठाई, फल इत्यादि भोजन सम्मान के साथ दिया जाता हैं।
भोजन की क्वालिटी और साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए पंकज ने कम्युनिटी किचेन की शुरुआत की। यहां उनके देखरेख में भोजन पकाया जाता है। पंकज ने प्रतिदिन 100 लोगों को भोजन कराने का संकल्प लिया था पर अभी के दौर में रोज 500 से ज्यादा लोग भोजन ग्रहण करते हैं। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से लेकर 1 बजे तक फूड बैंक टीम निश्चित जगह पर पहुंचकर लोगों को भोजन ग्रहण कराती है।
पंकज (Pankaj) ने लॉकडाउन में प्रशासन से अनुमति लेकर 800 ज़रुरमंद परिवारों को गोद लिया और उनके भोजन का प्रबंध भी किया। देवदूत फूड बैंक की किचन पर हर महीने 2 से 3 लाख का खर्च आता हैं। देवदूत फूड बैंक (Dewdoot Food Bank) के किचन की व्यवस्था के बारे में पंकज ने कहा, “सभी प्रबंध इश्वर करेंगे, मैं सिर्फ अपना काम कर रहा हूं, कम से कम खाना के लिए कोई इतना मजबुर ना हो कि गन्दगी में किसी का फेंका हुआ खाना खाए। मेरी इच्छा है कि देश के हर भाग में ऐसा ही फूड बैंक हो जहां लोग सम्मान के साथ भोजन कर सके।” आज इस फूड बैंक की मदद से प्रतिदिन 700 से 800 लोगों को भोजन दिया जाता है।
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