जब राकेश शर्मा 2 साल के थे तब एक दवा के रिएक्शन की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई। राकेश की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और कई लोगों को लगा कि अब राकेश अपने परिवार के लिए सिर्फ एक बोझ बन कर रह जाएंगे।

कई लोगों ने तो राकेश शर्मा के परिजनों को यह भी सलाह दी थी कि वो उन्हें आश्रम में छोड़ दें ताकि वो वहां ठीक से पल-बढ़ सकें।

लेकिन उस वक्त राकेश के माता-पिता ने हिम्मत नहीं हारी और राकेश को कहीं आश्रम में छोड़ने के बजाए अपना प्यार दिया। इतना ही नहीं मां-बाप ने राकेश को किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी और उन्हें एक आम बच्चों की तरह ही पाला तथा तालीम दी।

नतीजा यह हुआ कि राकेश ने अपनी जिंदगी में वो मुकाम हासिल किया जिसे लोग अक्सर सपने में देखते तो जरुर हैं लेकिन हासिल नहीं कर पाते हैं। बता दें कि राकेश शर्मा हरियाणा के भिवानी जिले में स्थित एक छोटे से गांव सांवड़ से आते हैं।

एक साक्षात्कार में राकेश शर्मा ने खुद बताया था कि शुरूआती दिनों में उन्हें आम स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता था। मजबूरीवश उन्हें स्पेशल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। 12वीं तक इसी तरह पढ़ाई करने के बाद राकेश शर्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। यहां दाखिला मिलते ही राकेश कि जिंदगी में काफी बदलाव आया। साथियों और विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने राकेश की हौसलाअफजाई की और फिर राकेश ने अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई-लिखाई पर लगाया।

राकेश को यूपीएससी का धुन कैसे चढ़ा? इसके पीछे भी एक कहानी है। बताया जाता है कि कॉलेज में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के अंतर्गत एक बार राकेश का सामना एक बच्चे से हुआ जो अपना घर छोड़कर भागा था और किसी से अपने बारे में बात नहीं करता था। राकेश ने उसको डील किया, धीरे-धीरे वह सामान्य हो गया और अपने घर वापस लौट गया।

उस लड़के के घरवालों ने राकेश को बहुत दुआएं दीं और यहीं से राकेश को लगा कि क्यों न कोई ऐसा काम किया जाए जिससे उस जैसे दूसरे बच्चों की मदद की जा सके। दूसरे की सेवा के विचार से राकेश सिविल सेवा के क्षेत्र में कूदे। जिस लड़के को कभी आश्रम में छोड़ आने की सलाह दी गई थी उस लड़के राकेश ने साल 2018 में पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा में सफलता पाई और आईएएस बन गए।

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