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हैदराबाद के नजदगी जयशंकर-भुपलपल्ली में पुलिस अधीक्षक संग्राम सिंह जी पाटिल ने ये साबित कर दिया है कि एक जिम्मेदार अफसर समाज में किस तरह से परिवर्तन ला सकता है

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पाटिल ने अपने काम के तरीके को बदला और दूर-दराज के लोगों तक पहुंच बनाने का खाका तैयार किया

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खाकी पहनने से पहले वह एक एमबीबीएस डॉक्टर थे. ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया कि वह अपनी डिग्री का फायदा यहां के लोगों को देंगे. ऐसे में उन्होंने आदिवासी इलाकों के लोगों के लिए मेडिसिन की व्यवस्था की

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पाटिल आदिवासी इलाकों में गए तो उन्होंने वहां रहने वालों का रहने का तरीका देखा. उन्होंने निर्णय लिया कि इस इलाके में डॉक्टर के तौर पर काम करना पडे़गा. उन्होंने इलाके में स्वास्थ्य और  हाइजीन पर बात करना शुरू किया

संग्राम सिंह जी पाटिल ने साल 2011 में महाराष्ट्र से एमबीबीएस की डिग्री ली. इसके बाद कुछ वर्ष तक दिल्ली में डॉक्टर के तौर पर काम किए. इसके बाद सिविल सर्विस की तैयारी की और साल 2015 में आईपीएस बन गए

लेकिन, महिलाओं और बच्चियों के रहने के तरीके को  देखते हुए वह खाकी वर्दी में ही डॉक्टर की भूमिका में आ गए हैं

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