किसी भी बड़े पद पर कार्यरत होने के बाद जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं, उसकी गरिमा बनाए रखने के लिए इंसान को बहुत से त्याग करने पड़ते हैं।

कई लोग समाज में बदलाव लाने के लिए अनेकों प्रकार के कार्य में संलग्न है। आज हम एक ऐसी ही बदलाव की कहानी लेकर आये हैं जो गांव की व्यवस्था को ठीक करने के लिए एक पद का त्याग कर दूसरा पद हासिल किए।

धीरज कुमार सिंह

यह कहानी है उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के एक आईएएस (IAS) अधिकारी धीरज कुमार सिंह की।

यह अपने गाँव की व्यवस्था से परेशान होकर अपनी MBBS की नौकरी ठुकरा दिए और बने आईएएस अधिकारी।

धीरज अपनी MBBS और MD की पढ़ाई करने के बाद अपना कार्यभार संभाल रहे थे लेकिन आईएएस अधिकारी बनने के लिए अपनी डॉक्टरी कि नौकरी छोड़ दिये।

धीरज ने ये त्याग सिर्फ़ समाज में बदलाव लाने के लिए किया। उनके लिए करियर से ज्यादा महत्व कहीं व्यवस्था में सुधार लाना था।

क्यों बने डॉक्टर से आईएएस ?

धीरज की माँ अक्सर बीमार रहती थी और उनके पिता अपनी नौकरी के लिए दूसरे शहर में रहते थे।

इनकी माँ को बीमारी की हालत में थीं और अकेले रहने के कारण धीरज को अक़्सर बनारस जाना पड़ता था, जिससे इनकी पढ़ाई और कार्य बाधित होता था।

सभी समस्याओं के निवारण के लिए धीरज अपने पिता का ट्रांसफर अपने शहर में कराने की योजना बनाये जिससे पिता जी से माँ को मदद मिल सके।

धीरज बड़े अफसरों से गुज़ारिश किए कि पिताजी का ट्रांसफर उनके शहर में हो जाये। जब धीरज अधिकारियों से बात किये तब वे धीरज की मदद करने के बजाए उनसे बदसलूकी से पेश आये।

तब धीरज के मन में एक बात बैठ गई कि एक पढ़े-लिखे डॉक्टर की जब यह हालत है तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा। तभी से शुरू हुआ आईएएस अधिकारी बनने का सफ़र।

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