यूपीएससी भारत के तमाम परीक्षाओं में सबसे कठिन मानी जाती है। इस परीक्षा में अगर कोई पहले प्रयास में ही सफल हो जाए तो वह व्यक्ति सराहना के योग्य माना जाता है।
आज हम एक ऐसी ही लड़की की बात करेंगे, जिसने अपने पहले प्रयास में ही ना सिर्फ़ यूपीएससी में सफलता प्राप्त किया बल्कि वह नौंवी रैंक के साथ ऑल इंडिया टॉपर भी बनीं। जिससे उन्हें आईएएस पद नियुक्त हुआ।
सौम्या शर्मा की कहानी
दिल्ली की रहने वाली सौम्या का यूपीएससी का सफर जितना जल्दी खतम हुआ, वह उतना ही चुनौतीपूर्ण और संघर्ष भरा हुआ भी था।
सौम्या की सबसे खास बात यह है कि वह कभी भाग्य का रोना नहीं रोती। उनका मनना है कि किसी भी हालात में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। आज हम सौम्या शर्मा के संघर्ष के बारे में बात करेंगे।
अचानक सौम्या की सुनने की शक्ति चली गयी
16 साल की उम्र में अचानक सौम्या की सुनने की शक्ति चली गयी। यह पता ही नहीं चला की ऐसा क्यों हुआ? इस बात से सौम्या सदमे में चली गईं मगर कुछ समय बाद उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और खुद को समझाया कि अब यही उनका सच है।
इस घटना के बाद से ही सौम्या हियरिंग ऐड की सहायता से सुनने लगीं। सौम्या शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थीं। शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सौम्या दिल्ली के नेशनल लॉ स्कूल में आगे की पढाई की।
लॉ के अंतिम वर्ष में ही सौम्या यूपीएससी परीक्षा में बैठने का फैसला कर चुकी थीं।
सौम्या यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने की तरकीब बताती हैं
सौम्या यूपीएससी के अन्य कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि जितना ध्यान आप पढ़ने पर दें उतना ही लिखने पर भी देना चाहिए।
इसके लिए आप किसी टॉपर्स की स्ट्रेटजी ध्यान से सुने और उसे फॉलो करें। इससे आपको सही राह मिलेगी।
सौम्या बताती हैं कि एस्से (लेख) के पेपर को इग्नोर ना करें क्योंकि यही आपकी रैंक बनाता है। सौम्या का मानना है कि समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं परंतु उससे हार मानने के बजाए उसका सामना करना चाहिए।
अंत में सौम्या यूपीएससी के लिए यही कहती हैं कि कड़ी मेहनत और धैर्य से यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया जा सकता है।