आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जो लंदन में लेक्चरर की नौकरी कर रही थीं। लेकिन वह उसे छोड़ अपने गांव आईं और यहां आकर उन्होंने रेशम की खेती शुरू की।
अब सभी उन्हें “रेशमी गर्ल” के नाम से जानते हैं। आइए जानतें हैं रेशमी गर्ल मधुलिका चौधरी जी के बारे में…
मधुलिका चौधरी बिहार के कटिहार के एक गांव से ताल्लुक रखती हैं।
यह हमारे बापूजी के एक मिशन “चलो गांव की ओर से” प्रभावित हुईं। वह लंदन में लेक्चरर की नौकरी कर अच्छा-खासा पैसा कमा रही थीं।
लेकिन उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया और गांव आईं। वहां आकर रेशम की खेती का श्रीगणेश किया और अब लोग उन्हें मधुलिका कम और रेशमी गर्ल के नाम से ज्यादा पहचानते हैं। उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है।
दिलाया बुनकरों को पहचान
वह यहां के बुनकरों को उनकी पहचान दिलाने का छोटा सा प्रयास कर रही हैं। उनकी ख्वाहिश है कि उन्हें उनका हक मिले।
वह हमारे प्रधानमंत्री से इस क्षेत्र में दिए गए ध्यान से बहुत खुश हैं।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से हमारे देश के प्रधानमंत्री ने रेशम का उत्पादन अधिक हो इसलिए ध्यान दिया है उससे मुझे अधिक मनोबल मिला है।