जब व्यक्ति के लिए अपने किसी मनपसंद चीजों को खरीद पाना मुश्किल लगता है तब वह अपने टैलेंट के द्वारा किसी भी काम को संभव बना सकता है। ठीक इसी तरह का टैलेंट दिखाया है केरल के रहने वाले राकेश ने। इन्होंने अपनी क्रिएटिविटी से एक कार को ही तैयार कर दिया है। यह कार कोई खिलौने वाला कार नहीं हैं, बल्कि सचमुच की कार है।
राकेश बाबू (Rakesh Babu) अभी सिर्फ़ 29 साल के हैं, जो केरल के चेरथला, अलाप्पुझा जिले के रहने वाले हैं। राकेश के पिता का एक मैकेनिक वर्कशॉप है, जिसमें राकेश बचपन से ही जाते हैं। वहाँ उन्हें कई तरह के कारों के बीच और उनसे जुड़ी मैकेनिकल जानकारियों को इकट्ठा करने का मौका मिला। इस तरह बचपन से ही मेकेनिकल चीजों में रूचि रखने वाले राकेश पहले भी बाइक और जीप बनाने कोशिश कर चुके हैं, जिसमें बहुत ज़्यादा सफलता नहीं मिली। लेकिन पहली बार उन्होंने एक कार डिजाइन की है। राकेश ने जिस पीले रंग के कार को बनाया है वह बिल्कुल वोक्सवैगन बीटल (Volkswagen Beetle) की मिनिएचर कॉपी की तरह लग रही है।
राकेश ने साल 2009 में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग में डिप्लोमा हासिल की है। इन्हें बचपन से ही मैकेनिकल चीजों का बहुत ज़्यादा शौक रहा है। यही कारण है कि राकेश कार बनाने से पहले स्क्रैप मटेरियल से बाइक और जीप बनाने की कोशिश भी कर चुके हैं। लेकिन आपको बता दें कि बाइक और जीप बनाने में उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली क्योंकि उस समय उनके पास पैसे और संसाधन दोनों की कमी थी। इसलिए उन्हें अपने उस सपने को वही छोड़ना पड़ा। बाइक और जीप बनाने में सफलता ना मिलने के बाद भी राकेश लगातार कई प्रोजेक्ट्स पर काम किए।
राकेश ने बताया कि वह एक कार खरीदना चाहते थे। लेकिन कार को खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और ना ही वह उतने पैसे इकट्ठे कर पा रहे थे। आखिरकार उन्होंने ख़ुद से ही कार को बनाने का फ़ैसला लिया। अपने मेहनत से राकेश ने अपने सपनों के इस कार को तैयार कर ही लिया, जिसे बनाने में सिर्फ़ 40 हज़ार रुपए लगे हैं। राकेश ने कई पार्ट्स को असेंबल करके इस कार को तैयार किया है, जिसमें ज्यादातर पार्ट्स उन्होंने अपने पिता के ही वर्कशॉप से लिया है। पीली रंग की यह कार दिखने में बहुत ही खूबसूरत है।
राकेश ने बताया कि इस कार को बनाने के लिए कार इंजन उन्होंने (Suzuki Samurai Motorbike) से, ऑटो रिक्शा से टायर, बंपर बाइक क्रैश गार्ड से, डोर हैंडल (Ambassador) , शीशे (TVS Fiero FX Motorcycle) से ली है। जब उन्हें कहीं से भी रिवर्स गियर ना मिला तो अब उन्होंने ख़ुद से ही रिवर्स गियर बना लिया।
राकेश ने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि कार का जो पहला मॉडल था वह पैडल मार कर शुरू होता था, तो वही दूसरे मॉडल में उन्होंने एक सेल्फ स्टार्ट सिस्टम डिजाइन कर लिया। ऐसा शायद पहली बार होगा जब सेल्फ स्टार्ट सिस्टम टू-स्ट्रोक मॉडल के साथ ही दिया गया हो।