प्रयागराज के अग्निशमन विभाग में तैनात फायरमैन धर्मेंद्र मिश्रा के बेटे राहुल मिश्रा अब सेना में लेफ्टिनेंट होंगे। राहुल ने संघ लोक सेवा आयोग (UPPSC) की कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज-2020 (CDS) एग्जाम में ऑल इंडिया में 54वीं रैंक हासिल की है। राहुल ने साल 2015 में दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व श्रीलंका में आयोजित लूस चैंपियनशिप में किया था। वहां पर श्रीलंका के रक्षा मंत्री ने उन्हें सिल्वर मेडल से सम्मानित किया था।

तीनों भाई-बहनों ने नाम रोशन किया
मूलतः वाराणसी के गोसाईपुर छोटा गांव निवासी धर्मेंद्र मिश्रा फायर ब्रिगेड में कांस्टेबल हैं। उनकी पोस्टिंग प्रयागराज स्थित फायर ब्रिगेड स्टेशन पर है। फायर ब्रिगेड स्टेशन परिसर में ही मिले दो कमरों के सरकारी आवास में वह अपनी पत्नी रत्नमाला, बेटे राहुल और दो बेटियों प्रियंका और अंजली के साथ रहते हैं।


बाल भारती स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने वाले राहुल ने वर्ष 2018 में एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट नैनी, प्रयागराज से साइकोलॉजी ऑनर्स (स्नातक) में 90%अंक हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। राहुल की बड़ी बहन प्रियंका इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए कर रही हैं। प्रियंका भी साल 2019 गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली राजपथ की परेड में शामिल हो चुकी हैं।

राहुल ने कहा- पिता सिपाही इसलिए अफसर बनने का जज्बा पैदा हुआ
राहुल कहते हैं कि उन्होंने जब सीडीएस का एग्जाम दिया था तो उन्हें यह तो भरोसा था कि वह सफल होंगे। लेकिन लेफ्टिनेंट बनेंगे इसका भरोसा बहुत कम था। 27 मई को आए रिजल्ट में जब राहुल के लेफ्टिनेंट बनने की खबर माता-पिता को लगी तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। राहुल कहते हैं कि वह अपने पिता को सिपाही के रूप में देखकर गौरव महसूस करते हैं, क्योंकि अगर वह सिपाही न होते तो हमारे अंदर अफसर बनने का जज्बा कतई पैदा न होता। उनकी दिन-रात की मेहनत लगन और इस बीच में परिवार के लिए समर्पण देखकर ही लगता था कि कुछ न कुछ करके दिखाना है।

पिता धर्मेंद्र मिश्रा कहते हैं कि फायर ब्रिगेड में नौकरी करने का सबसे बड़ा खामियाजा उन्हें अथवा उनके परिवार को यह भुगतना पड़ा कि उनकी ड्यूटी का कोई समय नहीं होता। रात-बेरात, कभी भी उनको जाना पड़ता है, खतरों से खेलना पड़ता है। इसलिए वह बच्चों को ज्यादा टाइम नहीं दे पाए। पत्नी जो की 8वीं पास थी, इसलिए वह भी पढ़ाई में बहुत ज्यादा योगदान बच्चों के नहीं कर पाई।

धर्मेंद्र कहते हैं कि उन्होंने बच्चों को सिर्फ यही कहा था कि आज की मेहनत ही कल का तुम्हारा भविष्य तय करेगी। यह सोचकर ही कुछ करना, फिर चाहे वह सही हो या गलत। पिता के इन वाक्य सूत्र को बांधकर जीवन मे हमेशा चलने वाले बेटे राहुल ने आज सफलता का परचम लहरा दिया। जिसे देख कर माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए।

साभार – dainik bhaskar

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