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आज हम बात करने जा रहे हैं कि ऐसे ही छात्र की जो कि बचपन से ही एक औसत छात्र रहा है. कई बार फेल होने के बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी मेहनत और लगन के दम पर लोगों को दिखा दिया की जो मेहनत करता है, वह कभी असफल नहीं होता।

आप पढ़ने में कितने भी कमजोर हों लेकिन आपके अंदर लालसा, ललक और लगन है। तो आप अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करते है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं वैभव छाबड़ा यूपीएससी की परीक्षा में 8 बार फेल होने के बावजूद IES (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज) की परीक्षा में उन्होंने हार नहीं मानी. लगन और मेहनत का ही नतीजा है कि आज वो IES अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं.

आइये जानते हैं कौन हैं (Vaibhav Chhabra) वैभव छाबड़ा

वैभव छाबड़ा दिल्ली के रहने वाले हैं। वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वैभव की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से हुई। वो एक औसत दर्जे के छात्र थे। उनका पढ़ाई-लिखाई में विशेष मन नही लगता था। हमेशा ही स्कूल में पीछे वाली सीट पर बैठते थे। हालांकि वैभव बताते हैं कि वो स्कूल प्रतिदिन जाते थे। उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा औसत नंबर से पास कर ली।

12वीं के बाद उन्होंने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट से बीटेक में प्रवेश लिया। पढ़ाई में ज्यादा अच्छा न होने कारण 4 साल के बीटेक के कोर्स को उन्होंने 5 साल में पूरा किया। बीटेक की परीक्षा में वो एकबार फेल हो गए। इसलिए उनको बैक ईयर की परीक्षा देनी पड़ी। इस वजह से उन्हें काफी निराशा झेलनी पड़ी। उन्होंने किसी तरह 56 प्रतिशत अंक से बीटेक पूरा किया।

परिवार की आर्थिक मदद के लिए बच्चों को कोचिंग पढ़ाने लगे

बीटेक कंप्लीट करने के बाद इन्होंने घरवालों की आर्थिक मदद करने के लिए एक कोचिंग संस्थान में फिजिक्स पढ़ाने लगे। जब वो कोचिंग पढ़ाने जाते तो उनके मन में एक सवाल गूंजता रहता ! कहीं किसी छात्र के द्वारा उनसे प्रश्न पूछा गया, तो वो इसका उत्तर न दे पाए तो ? छात्रों पर इनका अच्छा इम्प्रेशन नही जाएगा। इसलिए उन्होंने प्रत्येक टॉपिक की अच्छे से तैयारी करनी शुरू कर दी। ये सब करते-करते उनको सेल्फ मोटीवेशन मिलता जा रहा था। करीब दो वर्ष बाद वैभव छात्रों को पूरे मन से कोचिंग पढ़ाते रहे।

दो वर्षों तक कोचिंग पढ़ाने के बाद उन्होंने खुद यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का फैसला किया। वैभव ने कोचिंग में बच्चों को पढ़ाना छोड़ दिया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने बीएसएनएल में एक बार फिर नौकरी कर ली। वहाँ भी उनका मन नहीं लगा। उन्होंने फिर नौकरी छोड़ दी। इस बार उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुटने का प्रयास शुरू किया।

निकाला पढ़ाई में मन लगने का जबरदस्त तरीका

वैभव ने किसी तरह अपने आप को पढ़ाई के लिए तैयार किया। उनका मन नही लगता तो इन्होंने उसका एक तोड़ निकाला और 1 घण्टे पढ़ने के बाद 15 मिनट रेस्ट करते थे। धीरे-धीरे इनका मन पढ़ाई में लगने लगा। वैभव पढ़ाई के बाद बैटमिंटन भी खेलते थे। जिससे मन को थोड़ा रिलैक्स मिलता था। उन्हें टीवी देखना भी अच्छा लगता था।

चोट लगने के बाद बिस्तर पर लेट कर की परीक्षा की तैयारी

जब उनकी तैयारी बिलकुल अच्छी हो गयी थी तो उन्होंने IES का फॉर्म डाल दिया। अपनी पूरी क्षमता के साथ उन्होंने IES (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज) की तैयारी में जुटे रहे। इस साल यूपीएससी का फॉर्म डालने के कुछ दिन बाद उनका एक्सीडेंट हो गया। इस दुर्घटना के कारण उनकी पीठ में काफी चोटें आई। डॉक्टर ने उनको 8 महीने का बेड रेस्ट करने की सलाह दी। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वैभव ने बेड पर लेट कर ही UPSC की तैयारी की। उनकी मेहनत का नतीजा रहा कि उन्होंने 32वीं रैंक से आईईएस (IES) का एग्जाम पास कर लिया।

8 बार फेल हुए तब जाकर मिली सफलता

अपने जीवन के अनुभवों के बारे में पूछे जाने पर वो बताते हैं कि वो बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में औसत छात्र थे। UPSC की तैयारी के दौरान वो कई बार मेन्स परीक्षा तक पहुंचते फिर रिजेक्ट हो जाते। वह बिल्कुल अंदर से टूट गए थे। लेकिन घरवालों ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्होंने आखिरकार परीक्षा को पास कर लिया।

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