कैसी भी परिस्थिति हो, कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इंसान बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकता है. अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा पास करने वाले IAS प्रदीप सिंह इसका बड़ा उदाहरण हैं. प्रदीप का जन्म एक आम परिवार में हुआ. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो कोचिंग की फीस तक भर सकें. पढ़ाई के लिए पेट्रोल पंप पर काम करने वाले उनके पिता को अपना घर तक बेचना पड़ गया था.

पिता मनोज ने पढ़ाई के लिए अपना घर तक बेच दिया था

प्रदीप सिंह मूलत: बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं. उनके पिता सालों पहले घर चलाने के लिए इंदौर आ गए थे. 1991 में यहां आकर उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर काम करना शुरु किया और लसूड़िया क्षेत्र में इंडस सैटेलाइट में रहकर प्रदीप को बड़ा किया. प्रदीप बचपन से पढ़ने-लिखने में काफी तेज थे. यही कारण रहा कि उनके पिता मनोज ने उनकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी.

उधर, प्रदीप ने भी अफसर बनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने रोजाना 16 से 18 घंटे पढ़ाई की, शादी-बारात और बर्डे पार्टी में शामिल नहीं हुए. यहां तक कि इंदौर की चाट-चौपाटी कही जाने वाली मशहूर 56 दुकान और सर्राफा तक भी नहीं गए. बस उन्हें बैडमिंटन खेलने का शौक है, इसलिए जब भी समय मिलता था वो बैडमिंटन जरूर खेलते थे.

पहले प्रयास में ऑल इंडिया में 93वीं रैंक लेकर आए थे

इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के आईआईपीएस से बी.कॉम ऑनर्स की पढ़ाई करने के बाद प्रदीप 2017 में दिल्ली आ गए और सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु कर दी. जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई. वो 2018 में अपने पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल करने में सफल रहे. लेकिन वो इससे खुश नहीं थे. दरअसल, वो और अच्छे नंबर से परीक्षा पास करना चाहते थे.

यही कारण रहा कि उन्होंने दोबारा प्रयास किया और 2019 में 26वीं रैंक लाकर पिता का नाम रौशन किया. न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए प्रदीप के पिता ने कहा था, ”इंदौर के एक पेट्रोल पंप पर काम करते हुए भी मैं हमेशा अपने बेटे को शिक्षित बनाना चाहता था. मेरे पास पैसे की कमी थी. ऐसे में मैंने उसकी पढ़ाई के लिए अपना घर बेच दिया. इस दौरान परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ा. लेकिन, अब उनका परिवार खुश है.” 

पिता के त्याग को बेकार नहीं जाने दिया और अफसर बने

प्रदीप भी अपनी सफलता का श्रेय परिवार को देते हैं. IAS बनने के बाद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ”मैंने जितना संघर्ष अपने जीवन में किया है, उससे कहीं ज्यादा संघर्ष मेरे-माता पिता ने किया है. माता-पिता का जज्बा हमेशा मुझसे कहीं ज्यादा ऊपर था. उन्होंने बताया उनके पिता, मां और भाई, तीनों हर मुश्किल में मजबूती के साथ उनके साथ खड़े रहे.

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