पूर्णिया के आनंदवर्धन के यूपीएससी में सातवां रैंक, तीसरे प्रयास में मिली सफलता : आनंदवर्धन के यूपीएससी की परीक्षा में सातवां रैंक लाने पर उनके पैतृक जिला सिवान के लोग तो गौरव अनुभव कर ही रहे हैं, लेकिन पूर्णिया के लोग भी इससे काफी खुश हैं। आनंद वास्तविक रूप से इसी धरती की उपज हैं। आनंद ने बताया कि उन्होंने यूपी और बिहार अपनी च्वाइस दी है। अगर बिहार में नौकरी करने का मौका मिला तो उन्हें अपनी माटी की सेवा करने में काफी खुशी होगी।
यूपीएससी का सफर हर कैंडिडेट के लिए अलग अनुभव वाला होता है. कोई यहां पहले प्रयास में सफलता प्राप्त कर लेता है, तो किसी को अपना सपना पूरा करने के लिए कई सालों तक संघर्ष करना पड़ता है. आज आपको यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2016 में ऑल इंडिया रैंक 7 प्राप्त कर आईएएस अफसर बनने वाले आनंद वर्धन की कहानी बताएंगे, जिन्होंने बिहार के एक गांव से निकलकर यूपीएससी में सफलता हासिल की. उन्हें यह सफलता अपने चौथे प्रयास में मिली.
12वीं के बाद पढ़ाई के लिए दिल्ली आए
आनंद वर्धन मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. वे पढ़ाई में हमेशा से होशियार थे और उनकी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई अपने शहर में हुई. इसके बाद आनंद ने इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने का मन बनाया. इसके लिए वे दिल्ली आ गए और उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया. इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें नौकरी मिल गई. अब तक उनके मन में यूपीएससी का कोई ख्याल नहीं था. लेकिन कुछ समय तक नौकरी करने के बाद उन्होंने आईएएस बनने की ठानी.
कई बार हुए फेल, लेकिन नहीं मानी हार
आनंद ने नौकरी के साथ ही यूपीएससी सिविल सर्विस की तैयारी करने का फैसला किया. उन्होंने वीकेंड्स पर अपनी पढ़ाई के लिए ज्यादा समय दिया, तो हर दिन ऑफिस के बाद कुछ घंटे पढ़ाई के लिए निकाले. हालांकि शुरुआती 3 प्रयासों में वे प्री-परीक्षा में पास नहीं हो पाए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे. आखिरकार चौथे प्रयास में उनकी किस्मत अच्छी रही और उन्होंने टॉपर्स की सूची में जगह बना कर अपना सपना पूरा कर लिया.