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अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास के दौरान अगर असफलता भी हाथ लगती है तो उससे घबराना या लक्ष्य डिग जाना तो कतई नहीं चाहिए बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ना हीं सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। असफलता से सीखकर अपने कर्मपथ पर बढ़ने वालों में से एक नाम है मध्यप्रदेश के रहने वाले प्रफुल्ल का। आईए जानते हैं कि किस तरह उन्होंने असफलता को सफलता में परिवर्तित किया…

एमबीए की सीट पाने में असफल रहने वाले प्रफुल्ल 8,000 रुपये के साथ चाय की दुकान स्थापित किए और 4 वर्षों में 3 करोड़ रुपये का कारोबार स्थापित किया। चार साल पहले मध्य प्रदेश के एक छोटे गाँव से ताल्लुक रखने वाले 20 वर्षीय बी.कॉम ग्रेजुएट प्रफुल्ल बिलोर एक व्यवसाय शुरू करने की योजना के साथ अहमदाबाद पहुंचे। चूंकि वह प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए की सीट नहीं पा पाए जिस कारण वह निराशा को दूर करने के लिए व्यवसाय शुरू किया।

तीन महीनों के भीतर उन्होंने अपने पिता से 8,000 रुपये उधार लेकर सड़क किनारे चाय की दुकान स्थापित की और क्वर्की नाम, एमबीए चायवाला के साथ दुकान का नामकरण किया। सड़क के किनारे चाय की दुकान से शुरुआत करने वाले प्रफुल्ल बिलोर ने अब 3 करोड़ रुपये का कारोबार एफएंडबी से बिजनेस किया है। पहले दिन उन्होंने 150 रुपये की बिक्री की। उन्होंने कई नई चीजों को करने की कोशिश की है। वह राजनीतिक रैलियों में चाय बेचने का कार्य भी किए हैं। उनका 2019-20 तक कारोबार 3 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

प्रफुल्ल के बिजनेस मॉडल ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को संबोधित करने का निमंत्रण मिला, जहां उन्होंने एक बार स्टडी के बारे में सपना देखा था। उनकी कहानी किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती है जो अपने सपने को हासिल करने में असफल रहा है और उसने जीवन को छोड़ दिया। वास्तव में वह पढ़ाई करने के दौरान कमाई शुरू किए। उन्होंने वाणिज्य में स्नातक किया और इस दौरान प्रफुल्ल ने एक एमवे सेल्समैन के रूप में 25,000 रुपये प्रति माह की नौकरी की।

जल्द हीं, उन्हें मैकडॉनल्ड्स में एक नौकरी मिल गई। उन्होंने वहां बर्तन साफ ​​करने और पेपर्स प्लेटों में लगाने का काम किया। उन्होंने वहां लगभग 32 रुपये प्रति घंटा कमाए और हर दिन 10-12 घंटे काम किया। वह रोजाना लगभग 300 रुपये कमाते। उन्होंने वहां व्यवसाय कैसे करना है यह सीखा। तब खुद के व्यवसाय का निश्चय किया। प्रफुल्ल कहते हैं कि उनकी प्रारंभिक योजना अपने पिता से लगभग 10-12 लाख रुपये उधार लेकर एक पूर्ण रेस्तरां खोलने की थी। लेकिन फिर उन्हें यह अहसास हुआ कि वह एक जोखिम भरा हो सकता है। तब उन्होंने छोटे कार्यों में विश्वास करते हुए एक चाय स्टाल शुरू करने का विचार किया और अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए अपने पिता से लगभग 8,000 रुपये उधार लिए।

25 जुलाई 2017 को उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया। प्रारंभ में यह केवल शाम के घंटों में शाम 7 बजे से रात 10 बजे के बीच स्टॉल खोलते थे। साथ ही उन्होंने मैकडॉनल्ड्स में सुबह 9 से 4 के बीच काम किया। प्रफुल्ल पहले सड़क किनारे स्टाल में चाय बनाते और स्टॉल लगाकर बेचते। लेकिन वह टोस्ट और टिशू पेपर के साथ मिट्टी के बर्तनों में लोगों को चाय पिलाते जो दूसरों से उन्हें अलग कर दिया। उनके चाय की कीमत 30 रुपये थी। वह पहले दिन पांच कप बेचे और 150 रुपये कमाए। आय अच्छी थी क्योंकि कोई किराया या अन्य ओवरहेड्स नहीं था।

जब क्षेत्र के अन्य चाय विक्रेताओं को प्रफुल्ल की इस सफलता से ईर्ष्या होने लगी तो उन लोंगो ने कुछ गुंडों को उनके पास भेजा और उन्हें अपनी चाय की दुकान बंद करने के लिए मजबूर किया। प्रफुल्ल दूसरे इलाके में चले गये और इस बार एक उचित आउटलेट स्थापित किया जिसमें एक बड़ा बरामदा भी था। इस क्षेत्र में बहुत सारे कॉलेज और कार्यालय भी थे।

उन्होंने नाश्ते, शेक, कॉफ़ी और चाय की कुछ किस्मों की पेशकश की और युवा लोगों के लिए एक नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म में अपनी चाय की स्टाल लगाई और उन्हें नौकरियों और अन्य जानकारियों के बारे में अपने विज्ञापन पोस्ट करने के लिए जगह दी। उन्होंने अन्य छोटे कार्यक्रमों के बीच उद्यमशीलता कार्यक्रम और संगीत भी आयोजित की। आगे उन्होंने 2019 में 300 वर्गफुट क्षेत्र में एक पूर्ण रेस्तरां खोला और राजनीतिक रैलियों में चाय के स्टाल लगाने शुरू किए

अब उन्होंने बहुत से लोगों को रोजगार भी दिया है 2019-20 में 3 करोड़ रुपये का कारोबार किया।नवोदित उद्यमियों के लिए उनकी सलाह है कि अपने सपनों पर विश्वास करें और कभी हार न मानें। अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखें। आप जो भी करें उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें।

input – thelogically

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.