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बिहार (Bihar) में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिहार सरकार ने तमाम शिक्षण संस्थान बंद कर दिए हैं. सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों में ताला लग गया है. सरकार के इस फ़ैसले से प्राइवेट स्कूल प्रबंधन के लोग बेहद परेशान हैं. उन्होंने सरकार से कुछ अपनी परेशानियों को बताकर मांगें रखी हैं. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने मुख्यमंत्री से लाखों निजी विद्यालयों के कर्मियों की जान बचाने की गुहार लगाई है. इसको लेकर उन्हें पत्र (letter) भी लिखा.

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मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में पिछले 13 महीनों से विद्यालय बंद होने के कारण किसी भी कर्मी को वेतन नहीं मिल पाने की बात कही है. अधिकांश अभिभावक फीस नहीं दे रहे हैं और आगामी 15 मई तक सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश भी हो चुका है. जिसके कारण निजी विद्यालय से जुड़े लोगों की परेशानी और बढ़ गई है. बिना वेतन के उनकी घर गृहस्थी का चलना मुश्किल हो गया है. पत्र में कहा गया कि राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे शिक्षण-संस्थानों के बंद रहने से भावी पीढ़ी के विकास का कार्य तो अवरुद्ध हो गया है, साथ ही निजी शिक्षण-संस्थानों के अस्तित्व पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग गया है.

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पत्र में ये रखी मांगें-

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निजी शिक्षण संस्थानों को मकान का भाड़ा सरकार द्वारा भुगतान किया जाए.
विद्युत बिल के भुगतान की समुचित व्यवस्था की जाए.

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निजी शिक्षण संस्थानों में चलाए जा रहे वाहनों का सभी तरह के टैक्स और इंश्योरेंस की भरपाई सरकार करे.

स्कूल संचालक, प्राचार्य, शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों का बंद अवधि का प्रति व्यक्ति कम से कम 10000 की राशि प्रति माह की दर से भुगतान मानदेय के रूप में किया जाए. 50 किलो अनाज परिवार को जिंदा रहने के लिए दिया जाए.

निजी शिक्षण संस्थानों के संचालक एवं व्यवस्थापक को संचालन की व्यवस्था एवं रख रखाव के एवज में यथोचित राशि का भुगतान किया जाए.

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