कोई भी बिज़नेस छोटा या बड़ा नहीं होता, जरूरत होती है सच्चे लगन और मेहनत की। आपकी मेहनत और लगन ही आपके काम को बड़ा या छोटा बना सकती है। जी हाँ, एक वक़्त हुआ करता था, जब हर माँ-बाप अपने बच्चे को सिर्फ इंजीनियर और डॉक्टर ही बनाना चाहते थे लेकिन आज समय बदल गया है।
समय के साथ-साथ रोजगार के कई नए अवसर भी खुले हैं। इसी में एक व्यवसाय बनकर उभरा है ‘मछली पालन’। बिहार के संग्रामपुर, मोतिहारी के रहने वाले यतीन्द्र काश्यप ने 5 साल पहले मछली पालन की शुरुआत की थी और सिर्फ दो साल में ही उन्हें मुनाफ़ा होने लगा और आज वे लाखों कमा रहे हैं।
खानदानी पेशा है मछली पालन
आपको बता दें कि यतीन्द्र के घर में मछली पालन की प्रथा पुश्तों से चली आ रही है लेकिन यतीन्द्र ने इसमें संभावनाएं सिर्फ पांच साल पहले ही देखी और आज वो अपने क्षेत्र के कई मछली पालकों का भला कर रहे हैं और खुद भी साल में 80 से 90 लाख रूपए कमा रहे हैं।
अपने क्षेत्र के बेरोजगारों और किसान के मसीहा बने यतीन्द्र बताते हैं कि यूँ तो मछली पालन उनका खानदानी पेशा रहा है लेकिन वो खुद इस पेशे में साल 2012 में आये और आते ही उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। मछली पालन के साथ हेचरी के व्यवसाय से भी वे जुड़े हैं। इसमें उन्हें सरकारी मदद भी मिल रही है। दरअसल, सरकार हेचरी और तालाब पर 50 प्रतिशत अनुदान देती है।
शुरुआत में झेला लाखों का नुकसान
हालाँकि यतीन्द्र को इस व्यवसाय को शुरू करने में खासा दिक्कतें आई, एक हेचरी लगाने में 12 से 15 लाख का खर्च आता है लेकिन उन्होंने निवेश किया और शुरुआत में घाटा हुआ, इसके बाद उन्होंने जोखिम उठाया और अनुभवी लोगों से राय ली और देखते ही देखते उन्हें मुनाफा होने लगा। एक हेच से पैदा होने वाले मछली के बच्चों का बाजार मूल्य 3-5 लाख रूपए है और महीने में ऐसे पांच हेच कराये जाते हैं, हालाँकि बाजार में इनकी जरूरत 6 महीने ही रहती है।