अपनी मेहनत और परिश्रम से मिट्टी में सोना उगाना इन्हें बखूबी आता है। आपको पहले भी ऐसे किसानों से अवगत कराया जा चुका है, जिन्होंने इस कोरोना महामारी में भी खेती कर किसानों के लिए मिसाल कायम किया है। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे किसान की है, जिन्होंने गोबर से उर्वरक बनाकर ‘जैविक खेती” किया है। इनका नाम है, “रामशंकर गुप्ता”।
रामशंकर गुप्ता
रामशंकर गुप्ता अकबरपुर से संबंध रखते हैं। यह पशुपालन करने के साथ खेती भी करते हैं। वह पशुपालन में लगभग 1 दर्जन गायों की देखभाल कर रहें हैं। वह गायों के अपशिष्ट से उर्वरक बनाकर लगभग 2 सालों से जैविक खेती कर रहें हैं।
जैविक खेती से सब्जियों के साथ चना और गेंहू भी उगा रहें हैं
रामशंकर जैविक खेती करते हैं जिससे उनकी पैदावार अच्छी तो होती ही है, साथ ही उनके पास पैदावार को खरीदने वाले लोगों की भीड़ भी लग जाती है। रामशंकर जैविक खेती कर उसमें गेंहू, चना और सब्जियों को उगाते हैं। इनकी खेती के बारे में जनकारी लेने के लिए उनके आस-पास के किसान उनसे पूछने आते हैं कि यह खेती कैसे करनी हैं? वह उन सभी किसानों को विधिवत जानकारी देते हैं। जैविक खेती से उनकी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार आया है।
जैविक खाद बनाने का तरीका
रामशंकर जैविक उर्वरक बनाने के लिए गोबर, गोमूत्र, पानी, गुड़, बेसन और मिट्टी का उपयोग करते हैं। अब यह उस किसान के उपर निर्भर करता है कि उसे कितनी जमीन में खेती करनी है तो कितने अधिक खाद के मात्रा की आवश्यकता होगी। रामशंकर 1 बीघा जमीन की खेती के लिए खाद बनाने के लिए 200 लिटर पानी, 250 ग्राम मिट्टी, 10 किलो गोबर, गोमूत्र, के साथ 1 किलो चना और बेसन का उपयोग करते हैं।
उगाते हैं अन्य तरह की फसलें
शंकर ने अपने 2 बीघा जमीन में जैविक खेती के दौरान अनार, आम, पपीता, केला, नारंगी ,नींबू और अंगूर जैसे अन्य प्रकार के फलों की खेती किए हैं। सब्जियों में भी इन्होंने कई प्रकार के सब्जियों को लगाया है। साथ ही खाली जगहों में खेत के किनारों पर छायादार पेड़ भी लगाया है। इनका मानना है कि ऐसा करने से मिट्टी का बहाव कम होता है और छाया भी अधिक मिलती है।