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चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बेल मिल गई है. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने उन्हें सशर्त बेल दी है. लालू प्रसाद को जेल से बाहर निकलने के लिए एक-एक लाख रुपये के दो निजी मुचलके और पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की राशि जमा करनी होगी. अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा. बिना अनुमति के लालू यादव देश के बाहर नहीं जा सकेंगे और ना ही अपना पता और मोबाइल नंबर बदल सकेंगे.

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इससे पहले सुनवाई के दौरान लालू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और देवर्षि मंडल ने अदालत को बताया कि लालू प्रसाद ने इस मामले में छह अप्रैल को सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है, क्योंकि कोर्ट ने 19 फरवरी को माना था कि लालू प्रसाद की आधी सजा पूरी करने में एक माह 17 दिन कम है. वहीं सीबीआई का यह कहना कि लालू प्रसाद को कुल चौदह साल की सजा मिली है.

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यह मुद्दा जमानत पर सुनवाई के दौरान नहीं बल्कि अपील पर सुनवाई के दौरान उठाया जाना चाहिए. अदालत किसी भी समय जमानत प्रदान कर सकती है, जैसा कि आरसी-20 में सुप्रीम कोर्ट ने लालू को जमानत दी है, लेकिन चारा घोटाला से संबंधित सभी मामलों में हाईकोर्ट ने आधी सजा पर बेल देने का मानक तय किया है. इसी आधार पर लालू ने भी जमानत देने की गुहार लगाई है. इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए.

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वहीं सीबीआई की ओर से लालू की जमानत का जोरदार विरोध किया गया. कहा गया कि सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आइपीसी में सात साल और पीसी एक्ट में सात साल की सजा दी गई है, जो अलग-अलग चलेंगी, यानि लालू प्रसाद को कुल 14 साल की सजा मिली है. वहीं, लालू यादव की ओर से निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती नहीं दी गई है, कि सजाएं अलग-अलग चलने की बजाय एक साथ चलाई जाए. ऐसे में लालू की जमानत पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है.

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लेकिन अदालत ने सीबीआई की दलीलों को खारिज करते हुए लालू प्रसाद को सशर्त जमानत दे दी. बता दें कि लालू प्रसाद को चाईबासा के दो, देवघर और दुमका मामले में निचली अदालत से सजा मिल चुकी है. इन तीन मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल गई थी. अब दुमका कोषागार मामले में जमानत मिलने के बाद वे जेल से बाहर आ पाएंगे. फिलहाल लालू यादव दिल्ली एम्स में इलाजरत हैं.

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