राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आखिरकार चारा घोटाले में एक लंबी अदालती लड़ाई के बाद जमानत मिल गई है. इस जमानत का इंतजार जितना उनके परिवार को था उससे कहीं ज्यादा उनकी पार्टी को भी था. लालू यादव की खासियत यह रही कि सत्ता में रहें या विपक्ष में उनकी प्रासंगिकता कभी कम नहीं हुई. जेल में रहकर भी वो लगातार सुर्खियों में रहे और जेल से बाहर आए तो कई बार पांसा पलट दिया, उनकी मौजूदगी भर से पार्टी को संबल मिलता रहा.

अपने चुटीले अंदाज़ की वजह से लालू हमेशा खबरों में रहे. बिहार ही नहीं अपने अदा के कारण वो देश की सियासत में भी दशकों तक रंग भरते रहे. उन्हें पता था कि कैमरे का कौन सा एंगल अच्छा होता था इसलिए वो एक नेता होने के साथ रियल टाइम “अभिनेता” भी माने जाते रहे. ज़ाहिर है लालू यादव जब दिल्ली से पटना आएंगे,  तो उसके सियासी मायने भी निकाले जाएंगे. इस बात की भी चर्चा होगी कि आखिर उनके रहने भर से बिहार की सियासत पर क्या असर पड़ेगा?

लालू यादव ने जो राजनीतिक विरासत अपने बेटे तेजस्वी यादव को दी है, उसकी आज की राजनीति में  क्या प्रासंगिकता होनी चाहिए, लालू यादव उसकी समीक्षा खुद कर पाएंगे. जिस समय लालू जेल में थे तेजस्वी यादव ने अपने बूते पर आरजेडी को प्रदेश की  सबसे बड़ी पार्टी बना दी, लेकिन आरजेड़ी के लोग मानते हैं कि लालू यादव अगर जेल से बाहर रहते तो पार्टी को भारी बहुमत  मिल सकता था.

लालू यादव के परिवार के लोग हमेशा यह कहते रहे कि उनको चारा घोटाले में फंसाया गया और उनको एक लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला है. यह भी कहा जाता रहा कि लालू अगर इस घोटाले में नहीं फंसते तो बिहार में सियासत का स्वरूप ही कुछ और होता.

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