बिहार के पूर्णिया ज़िले के निवासी हैं. वे लगभग 2 एकड़ की ज़मीन पर मखाने की खेती कर रहे हैं. इस ज़मीन को कुछ ही साल पहले इन्होंने इसी काम के लिए लिया था. आपको बता दे कि, मखाना को कमल बीज या फॉक्स नट के नाम से भी जाना जाता है।
धान और गेहूं को छोड़, मखाना को चुना
साकेत बताते हैं कि उन्होंने शुरू से अपने दोस्तों को गेहूं और धान की ही खेती करते देखा है, लेकिन उन्होने मखाना की खेती करने का फैसला किया। साकेत का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, लेकिन इस खेती से उनके कर्ज़ भी उतर गए और बच्चों को अब अच्छी शिक्षा भी मिल रही है।
साकेत बताते हैं कि उनके पास पर्याप्त ज़मीन नही थी, इसलिए वो पहले गेंहू या अन्य फसलों को बोते थे। लेकिन जब उन्होंने मखाना की खेती शुरू की तब कुछ ही वर्षों में उन्होंने 2 एकड़ जमीन खरीद ली, और परिवार को भी अब सही सुविधाएं दे रहे हैं।
हर साल होती है, 4.5 लाख की कमाई-
मखाने के बीज को बेचकर साकेत को 3.5 लाख की कमाई तो होती ही हैं, उसके साथ साथ जो बीज बच जाते हैं उन्हें वो 40% अधिक मूल्य पर बेच देते हैं। जिससे आय लगभग 4.5 हो जाती है।
साकेत बिहार के उन 8 जिलों के 12000 किसानो में से एक हैं जिन्होंने मखाना मैन ऑफ इंडिया से इस खेती की ट्रेनिंग ली। आपको बता दे कि सत्यजीत सक्ति सुधा इंडस्ट्रीज के संस्थापक हैं।