बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) का टलना लगभग तय हो गया है. इस चुनाव में एम-3 मॉडल के ईवीएम (EVM) के इस्तेमाल को लेकर पटना हाई कोर्ट में बीते मंगलवार को सुनवाई नहीं हो सकी. बहुप्रतीक्षित मामले में अब बुधवार को मोहित कुमार शाह की बेंच में सुनवाई होगी I
हालांकि, फैसले को लेकर संशय बरकरार है. इतना ही नहीं भारत निर्वाचन आयोग और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के बीच ईवीएम खरीद को लेकर हाई कोर्ट की चेतावनी के बावजूद बैठक अब तक नहीं हुई. अब माना जा रहा है कि इस मामले में सरकार को ही हस्तक्षेप करना होगा और मामले में कोई विकल्प तलाशना होगा I
बता दें कि आयोग ने ईवीएम सप्लाई के लिए जिस कंपनी का मॉडल तय किया है, उसे बनाने के लिए कम से कम एक महीने का समय चाहिए. राज्य में एक साथ 6 श्रेणी के ढाई लाख पदों पर चुनाव कराने हैं. उसके अनुरूप ईवीएम को एसेंबल करने में समय की जरूरत होती है. इस हिसाब से मई का पहला सप्ताह पार कर जाएगा. इसके बाद प्रक्रिया में 2 महीने और लगते हैं. ऐसे में 15 जून तक चुनाव संपन्न कराना आयोग के लिए आसान नहीं होगा I
पंचायत चुनाव में देरी का असर बिहार विधानपरिषद में स्थानीय निकाय कोटे की सीटों के लिए होने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ही महीने में इन सीटों के लिए निर्वाचित विधानपार्षदों का कार्यकाल खत्म होने वाला है. इन सीटों के लिए चुनाव में पंचायत चुनाव के निर्वाचित प्रतिनिधि ही मतदाता बनते हैं. अब 15 जून के बाद जब कोई पंचायत प्रतिनिधि ही नहीं रहेगा तो स्वभाविक है कि विधानपरिषद का चुनाव भी टालना पड़ेगा I