पिछले साल इसी सितंबर महीने में बुराड़ी (Burari) के 6 गज के दो मंजिला इमारत की (House Built in 6 Yards) की कहानी ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. ठीक एक साल बाद कोविड-19 (COVID-19) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच इस मकान में रहने वाले और बनाने वाले दोनों की चर्चाएं शुरू हो गईं हैं. आखिर कोरोना काल में इस मकान में रहने वाले लोगों ने अपना दिन कैसे काटा? महज 6 गज जमीन पर बनी दो मंजिला मकान में पांच आदमियों का परिवार कोरोना काल में अपना गुजर-बसर कैसे किया?
कैसे पहुंचेगे 6 गज के इस मकान पर
बुराड़ी मेन रोड से जब संत नगर मेन मार्केट के आखिरी हिस्से में पहंचते हैं तो दाहिने हाथ पर एक छोटी सी चौधरी डेयरी नजर आती है. आपको वहां से ही स्थानीय लोग 6 गज की जमीन पर बने मकान के बारे में बताने लगेंगे. अच्छा मकान देखकर आप कारीगर की तारीफ न करें ऐसा हो नहीं सकता. यहां आने वाला हर शख्स कारीगर की तारीफ करते नहीं थकता. लेकिन, इस मकान को बनाने वाला अब इस इलाके में नहीं रहता है
मकान बनाने वाले शख्स का नाम अरुण था, जो बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला था. अरुण इलाके के ही एक ठेकेदार के यहां नौकरी किया करता था. उस ठेकेदार का काम था, इलाके की जमीन की प्लॉटिंग कर और फिर बेच देना, क्योंकि जिस जमीन पर यह मकान बना हुआ है वहीं से गली नंबर 65 के लिए रास्ता निकलना था. इसलिए रास्ता निकलने के बाद कोने की 6 गज जमीन बच गई. उस कारीगर ने ठेकेदार से 6 गज का हिस्सा अपने नाम करवा लिया
इस दो मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर से ही पहली मंजिल पर जाने का रास्ता निकलता है और ग्राउंड फ्लोर पर ही सीढ़ियों से सटा एक बाथरूम भी है. ग्राउंड फ्लोर पर इसके अलावा कुछ नहीं है. अगर आप पहली मंजिल पर जाएंगे तो एक बेड रूम और उससे सटा एक बाथरूम नजर आएगा
बेडरूम से ही दूसरी मंजिल के लिए एक रास्ता निकाला गया है. पहली मंजिल पर पहुंचते ही एक बेड आपको नजर आएगा. उस बेड को इस मकान के पहले मालिक ने कमरे के अंदर ही बनवाया था. तब से अब तक बेड उसी जगह पर है जहां वह पहले दिन से लगा था. मकान तिकोने आकार का है. यानी दरवाजे से शुरू होकर अंत तक जाते-जाते दीवारें त्रिभुज की तरह जुड़ जाती हैं
अब 6 गज का मकान का मालिक कौन है
पवन कुमार उर्फ सोनू इस मकान के मौजूदा मालिक हैं. न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में सोनू कहते हैं, ‘इस मकान को हमने 5-6 साल पहले अरुण कुमार नाम के एक शख्स से खरीदा था. अरुण कुमार बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला था और उसने खुद ही इस मकान को बनाया था.’
असली मालिक क्यों मकान बेच दिया
लोगों का कहना है इस मकान को बनाने वाला एक जुएबाज था और एक ही रात काफी रकम जुए में हार गया. इस लत की वजह से उस पर काफी कर्ज भी हो गया था. कर्ज चुकाने के लिए उसने सोनू के नाम जमीन की पावर ऑफ एटार्नी कर दी. कच्ची कालोनी होने के कारण यहां पर मकान की रजिस्ट्री नहीं होती है. हालांकि, बिजली और पानी की कोई दिक्कत नहीं है