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बिहार वासियों के लिए यह बहुत ही खुसी की खबर है की पूर्णिया मक्का का हब बन गया है। विदेश में भी यहां के मक्का की मांग है। फ्रांस, आस्ट्रेलिया, लंदन, सिंगापुर और जापान आदि देशों की कंपनियां यहां से दो से तीन लाख टन मक्के की हर साल खरीदारी करती हैं। इसके अलावा लगभग 200 स्थानीय ट्रेडर मक्का का कारोबार करते हैं। हर साल लगभग 30 लाख टन मक्का यहां से देश के दूसरे प्रांतों और विदेश में भेजे जाते हैं। पूर्णिया जिले में पूर्णिया, जलालगढ़ और रानीपतरा रेलवे स्टेशन पर स्थित रैक प्वाइंट से हर साल करीब दो लाख टन मक्का दूसरे प्रांतों में भेजा जाता है।

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आपको बता दे की पूर्णिया प्रमंडल में मक्का किसानों के लिए सबसे बड़ी नकदी फसल बन गई है। प्रमंडल के पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज जिलों में पिछले रबी के मौसम में एक लाख 50 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी। इस साल रबी सीजन में सिर्फ पूर्णिया में 80 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे पर में मक्के की खेती की गई है। हर सीजन में यहां मक्के की खेती होती है। यहां मक्के का उत्पादन भी सबसे अधिक होता है। देश में मक्का उत्पादन में बिहार दूसरे स्थान पर है।

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बताया जा रहा है की इनमें भी कोसी प्रमंडल के जिलों में उत्पादन अधिक होता है। यहां के किसान प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल तक मक्के का उत्पादन करते हैं। इस इलाके में अभी तक एक भी प्रोसेङ्क्षसग प्लांट नहीं लगाया जा सका है। इस कारण अधिकांश मक्का बाहर चला जाता है। विदेशी कंपनियां हर साल यहां से करोड़ों का मक्का खरीद कर ले जाती हैं। कई कंपनियों के तो यहां बड़े-बड़े वेयर हाउस भी हैं।

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