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बिहार की राजधानी पटना से करीब 35 किलोमीटर दूर खुशरूपुर के बेनीपुर एरई गांव में मेंथा की खेती कर देवानंद सिंह पांच गुना कमाई कर रहे हैं. खास बात यह है की उन्हें साल में 15 से 20 लाख रुपये की कमाई हो रही है. बैंक में कैशियर की नौकरी छोड़कर उन्होंने इसकी शुरुआत की और आज दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं. देवानंद सिंह पिछले आठ सालों से मेंथा की खेती कर रहे हैं जिसका ज्यादातर किसान नाम भी नहीं जानते हैं.

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आपको बता दे की देवानंद सिंह ने खेती के लिए लखनऊ के सेंट्रल मेडिसिन रिसर्च सेंटर में ट्रेनिंग ली. साल 2006 में पिता के निधन के बाद अपने गांव आकर खेती शुरू की. देवानंद सिंह कहते हैं कि उन्होंने आठ एकड़ जमीन में मेंथा की खेती की है. इसके साथ ही उन्होंने अपने घर में मेंथा के पौधे से तेल निकालने वाली मशीन भी लगाई है. इसके तेल की कीमत 12 से 14 सौ रुपये प्रति लीटर है. एक एकड़ में लगभग 60 से 70 लीटर मेंथा ऑयल निकलता है.

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तीन महीने में हो जाता है तैयार : बताया जा रहा है की खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि मवेशी इसे छूते भी नहीं है. मात्र तीन महीने में यह तैयार हो जाता है. रवि फसल खत्म होते ही मेंथा की खेती की जाती है. इसके ऑयल से साबुन, शैंपू, पेन किलर बनाने और जख्म भरने का मरहम बनाया जाता है. बड़ी-बड़ी कंपनियां ले जाती हैं. इसके साथ ही देवानंद अपने दो एकड़ में पॉपुलर के लगभग 2000 पेड़ लगाए हैं जिससे प्लाईवुड बनाया जाता है. बिहार के प्लाई फैक्ट्री वाले इसे लेने के लिए हरियाणा जाते थे, लेकिन अब देवानंद बिहार की फैक्ट्रियों में सप्लाई देते हैं. 

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मछली पालन के साथ अन्य चीजों की भी खेती : उन्होंने बताया की मेंथा के अलावा मछली पालन,  मौसमी सब्जी और फल की खेती भी करते हैं. बत्तख पालन, गाय पालन भी करते हैं. अपनी जमीन के बड़े भाग में प्याज की खेती कर रहे हैं जिससे अच्छी आमदनी होती है. देवानंद ने बताया कि जब खेती शुरू की तो उस समय 14 एकड़ जमीन थी. अभी खेती की कमाई से उन्होंने और आठ एकड़ जमीन खरीद ली है.

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