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भिखारी का नाम सुनते हीं अक्सर उसे बहुत छोटा समझ लिया जाता है।

हम उसके हालत सुधारने के बारे में ना सोंचकर उसकी कमियाँ ढूंढ़ने लग जाते हैं।

परंतु आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात करेंगे जिसने उनका दुख समझा और उसे दूर करने की तरकीब निकाली

प्रोफेसर पी. नवीन कुमार (Prof. P. Naveen Kumar)

नवीन कुमार 6 सालों से जे.के.के.एन. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में पढाते हैं।

वह सड़कों पर रहने वाले भिखारियों के लिए मसीहा बन चुके हैं।

नवीन ने बताया कि जब वो इंजीनियरिंग की डिग्री ले रहे थे, तब से उन्होंने यह करना आरंभ किया। उनके पास रात के खाने के लिए सिर्फ 10 रुपये हीं होते थे।

वह उन पैसे से खाना खरीदते तो जरूर पर उनकी मुलाकात भिखारियों से हो जाती थी।

वह उनसे पैसें माँगते तो वह उन्हें रात का खाना खरीद कर दे देते और खुद भूखे सो जाते थे।

नवीन दूसरे का भूखा रहने का मरयम समझते हैं क्यूंकि उनके पिता विकलांग हैं और उनकी मां बिस्तर पर पड़ी है, इसलिए वह कहते हैं कि मुझे पता है कि पैसे न होने की स्थिति में भूख क्या होती है।

नवीन अपने कुछ क्लासमेट्स के साथ मिलकर आचार्यम ट्रस्ट की स्थापना की। जिसमें ऐसे भिखारियों को सहारा मिला जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया था।

इसके अलावा जिन्हें परिवारों ने अलग कर दिया था या फिर सिर्फ बुजुर्गों को जिन्हें उनके परिवारों द्वारा निकाल दिया गया था।

वह लोग 2016 के बाद से अपने वेतन, छोटे दान और आचार्यम ट्रस्ट के माध्यम से 18 जिलों में 400 स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ नवीन ने 572 भिखारियों को पुनर्स्थापित किया और 5,000 से अधिक का पुनर्वास किया।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.