आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बात करेंगे, जो बहुत साधारण परिवार से हैं। उन्हें पढ़ने के लिए अधिक सुख-सुविधा नहीं मिली फिर भी वह अपनी मेहनत से यूपीएससी में आठवां स्थान प्राप्त कर आपने गांव का नाम रोशन कर दिया।

शरण कांबले की कहानी

शरण महाराष्ट्र के सोलापुर के रहने वाले हैं। उनके पिता गोपीनाथ कांबले मज़दूरी हैं तथा उनकी मां सुदामती कांबले सब्जी बेचती हैं।

शरण के परिवार की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। शरण बताते हैं कि अक्सर ऐसा होता था कि उनके पूरे परिवार को भूखा ही सोना पड़ता था परंतु शरण का मन बचपन से ही पढ़ाई में लगता था।

वह शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे। उनकी यह लगन देख उनके माता-पिता ने भी उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया।

शरण की पढ़ाई का सफर

शरण बताते हैं कि केवल उनकी पढ़ाई के लिए उनकी मां सब्जी तक बेचने लगीं तथा उनके पिता खेत में मज़दूरी करते थे। शरण अपने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं।

उनका कहना है कि उनके माता-पिता की कड़ी मेहनत और शिक्षा दिलाने के फैसले के चलते ही उनके बड़े भाई ने भी बीटेक किया।

जिसके बाद घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और शरण को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का मौका मिला।

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