आज हम आपके समक्ष एक ऐसी कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं जो ऐसे लड़के की है जिसने अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए बहुत सारी विषम परिस्थितियों का सामना किया है।
उनके पिता कोयला के खदानों में कार्य कर अपना आजीविका चलाते लेकिन अपने बच्चे को पढ़ा-लिखाकर इस काबिल बनाया कि यह अपने पिता से बेहतर बन सके।
आईए जानते हैं उनके बारे में इस कैसे उन्होंने संघर्ष के कठिन पथ पर चलते हुए सफलता प्राप्त की…
किशोर कुमार रजक
यह कहानी है झारखंड के निवासी किशोर कुमार रजक की। वह जहां रहते हैं वहां कई वर्षों से बिजली की कोई सुविधा नहीं है फिर भी वह बिना रूके अपने परिश्रम से अपने मंजिल को पा लिए।
भले हीं वह दलदल में जिंदगी बिताए लेकिन कमल के तरह खिलकर DSP का पद प्राप्त किया।
गरीब परिवार में हुआ जन्म
किशोर एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं जिस कारण उन्हें अपनी पढ़ाई-लिखाई और आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता जीविकोपार्जन के लिए धनबाद के कोयला खदान में मजदूरी करते थे।
पैसे अधिक तो नहीं थे लेकिन उसी मजदूरी से उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके। उनके पास ना हीं अधिक जमीन थी जिस पर वह खेती कर कुछ कमाई कर पाते।