लक्ष्य साधकर यदि निरन्तरता से प्रयास किया जाए तो सफलता अवश्य रूप से हासिल होती है। राह में आने वाली बाधाएं थोङी देर के लिए मार्ग अवश्य अवरूद्ध कर करती है लेकिन डिगा नहीं सकती।
आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है एक ऐसे शख्स की कहानी जिन्होंने संघर्ष करके अपनी पढ़ाई पूरी की, फिर अपनी मेहनत से सफलता की ऐसी पराकाष्ठा की जो अन्य लोगों को प्रेरित करने वाला है।
विजय सिंह गुर्जर
विजय राजस्थान के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वे कुल पांच भाई-बहन हैं जिसमें विजय तीसरे नंबर पर हैं। विजय के पिता खेती करते हैं तथा उनकी माँ एक गृहणी हैं।
विजय के पिता शुरू से हीं अपने सभी बच्चों को पढ़ना चाहते थे। विजय अपनी शुरूआती पढ़ाई गाँव के सरकारी स्कूल से हीं की तथा पढ़ाई के साथ-साथ वे खेत के कामो में भी अपने पिता की मदद करते थे।
खेतो में किया काम
विजय बताते हैं कि जब फसल तैयार हो जाता था तो उसे काटने के लिए उन लोगों को सुबह तीन या चार बजे उठा दिया जाता था और वे लोग आठ बजे तक फसल काटते तत्पश्चात् वे स्कूल जाते थे।
इसी तरह शाम का भी रूटीन होता था। जब सारे बच्चे स्कूल से आकर छुट्टियां मानते थे उस समय विजय तथा उनके भाई ऊंट को हल जोतने की ट्रेनिंग देते थे ताकि वह ज्यादा पैसे में बिक सके।