बिहार को शराबमुक्त बनाने के लिए नीतीश कुमार हर वो कोशिश कर रहे है जिससे बिहार में शराब न मिले और शराब पिने वाले लोग को कड़ी से कड़ी सजा दिए जा रहे है | बता दे की मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. शराब की खेप बिहार में पहुंचाने की तमन्ना रखने वाले तस्करों की अब खैर नहीं |

बताया जा रहा है की हर मालवाहक को शराब टोही सुरंगों से गुजरकर ही बिहार में प्रवेश मिलेगा. मध निषेध विभाग इसकी तैयारी कर रहा है. जल्द ही इसके लिए आरएफपी जारी की जाएगी यानी कंपनियों के प्रस्ताव मांगा जाएगा. मद्य निषेध एवं उत्पादन विभाग ने 5 स्थानों पर ट्रक स्कैनिंग टनल इसके नियंत्रण लगाने की योजना बनाई है | जिससे पता चलेगा की गाड़ी में शराब है की नहीं |

आपको बता दे की इसके लिए फिलहाल डॉभी, रजौली, दालकोला, गोपालगंज, कैमूर जिलों में एक-एक स्थानों का चयन किया गया है. हर एक ट्रक स्कैनिंग चैनल को स्थापित करने पर 20 करोड़ का खर्च आएगा यानी पांच टनल को स्थापित करने पर 100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.दूसरे राज्यों से माल लेकर आ रहे ट्रकों को इन टनल से गुजारा जाएगा. इनके गुजरते ही ट्रक पर लदे सभी माल का फोटो वहां के मॉनिटर पर आ जाएगा. इसके उत्पाद विभाग के अधिकारियों के लिए शराब की खेप पकड़ना आसान हो जाएगा.

खास बात यह है की शराबबंदी को सफल बनाने के लिए मुख्यालय सख्त है. तमाम चौकसी के बाद भी शराब की खेप जिले के विभिन्न इलाकों में पहुंच रही है. सीमावर्ती इलाके में शराब लाने वाले वाहनों को पकडऩे के लिए चेक पोस्ट बनाने की बात कही गई थी, लेकिन वह कागजों पर ही सिमट कर रह गई है. रिकार्ड पर गौर करें तो अधिकतर शराब लदी गाडिय़ां सीमावर्ती इलाके से प्रवेश करने के बाद विभिन्न इलाकों में ही पकड़ी गई है. भले ही चोरी-छिपे शराब मंगाई जा रही है, लेकिन सीमावर्ती थाना क्षेत्र से ही वह प्रवेश करके आ रही हैैं |

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