पूर्व मध्य रेल में लगभग डेढ़ दर्जन प्रोजेक्ट से अधिक नयी रेल लाइन परियोजनाओं के काम पर असर पड़ेगा. वित्तीय वर्ष 2022-23 में रेल बजट में राशि का प्रावधान नहीं होने से योजनाएं लंबित रहेंगी. लगभग 18 बड़े प्रोजेक्ट को बचाये रखने के लिए मात्र एक-एक हजार का आवंटन किया गया है. जबकि इन योजनाओं पर करोड़ों रुपये की लागत है. पहले से लंबित इन प्रोजेक्टों के पूरा होने में और विलंब होगा.

मीडिया रिपोर्ट की माने तो दक्षिण बिहार, मिथिला के इलाके सहित अन्य इलाके के डेढ़ दर्जन से अधिक प्रोजेक्ट में मामूली राशि के प्रावधान से योजनाओं के लटकने की पूरी संभावना है. महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में आरा-भभुआ-मुंडेश्वरी धाम, गिरिडीह-कोडरमा, नवादा-लक्ष्मीपुर, कुरसेला-बिहारीगंज, दरभंगा-कुशेश्वरस्थान, महेशखूंट-थाना बिहपुर, थाना बिहपुर-कुरसेला, मोतिहारी-सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर-कटरा-जनकपुर रोड सहित अन्य नयी रेल लाइन प्रोजेक्ट शामिल हैं.

आपको बता दे की आरा-भभुआ-मुंडेश्वरी धाम नयी रेल लाइन निर्माण की घोषणा तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने की थी. 14 साल से यह योजना लंबित है. रेलवे लाइन के विस्तारीकरण व सदातपुर में प्रस्तावित न्यू मुजफ्फरपुर टर्मिनल के लिए महज एक-एक हजार रुपये का प्रावधान किया गया है.

इन प्रोजेक्टों में भी मिले एक-एक हजार : खास बात यह है की छपरा-मुजफ्फरपुर 84.65 किमी प्राेजेक्ट पर 400 करोड़ लागत है. इस बार मात्र एक हजार रुपये का प्रावधान है. कुरसेला-बिहारीगंज 35 किमी 192 करोड़ 46 लाख लागत वाली नयी रेल लाइन पर असर पड़ेगा. मोतिहारी-सीतामढ़ी 76.7 किमी की लागत 950 करोड़, सीतामढ़ी-जयनगर-निर्मली बारास्ता सुसंद 188 किमी 2393 करोड़, मुजफ्फरपुर-कटरा-ओरल जनकपुर रोड 64.55 किमी 227 करोड़, आरा-भभुआ रोड 48 करोड़, गिरिडीह-कोडरमा 102.5 किमी ,नवादा-लक्ष्मीपुर 620 करोड़ नयी रेललाइन के लिए भी मात्र हजार-हजार रुपये दिये गये हैं.

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