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हाल ही में एक शोक के आंकड़ों से साफ हुआ था कि सरसों के तेल का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद रहता है. शोध से यह भी साफ हुआ है कि रिफाइंड के मुकाबले सरसों का तेल सेहत के लिए ज्यादा अच्छा है. इसलिए जरूरी है कि रिफाइंड और डालडा घी के सेवन से दूर रहें. बता दे की किचन में सब्जी और दाल बनाने के लिए सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करें. पूड़ी-कचौड़ी के शौकीन लोगों को अक्सर अपने दिल का ख्याल रखते हुए मन को मारना पड़ता है। आने वाले समय में कोलेस्ट्राल रहित सरसों तेल किचन में होगा और मन मारने की जरूरत नहीं होगी।

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मीडिया रिपोर्ट की माने तो कुछ जगह इसे कड़वे तेल के नाम से भी जाना जाता है. सरसों का तेल सेहत और सुंदरता दोनों के ही लिए ही अच्छा बताया गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पहली बार कैनोला गुणवत्तायुक्त सरसों के उन्नत बीज विकसित किए हैं। बिहार के बक्सर के कृषि विज्ञान केंद्र में इस साल नई प्रजाति के ढाई क्विंटल बीज तैयार किए गए हैं, जो किसानों को दिए जा रहे हैं। नई प्रजाति के सरसों से तैयार तेल में हानिकारक तत्वों का अभाव रहेगा, साथ ही उपज की मात्रा भी बढ़ेगी।

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आपको बता दे की सरसों के तेल में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं. साथ ही यह एक दर्दनाशक के रूप में भी काम करता है. जोड़ों का दर्द हो या फिर कान का दर्द, सरसों का तेल एक औषधि की तरह काम करता है. आयुर्वेद में भी इसे बहुत गुणकारी बताया गया है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सह कार्यक्रम प्रभारी हरिगोविंद जायसवाल ने बताया कि नई प्रजाति के बीज से उपज और प्रति किलो प्राप्त होने वाले तेल की मात्रा भी पहले की अपेक्षा ज्यादा होगी। उनका कहना है कि सरसों की अबतक प्रचलित प्रजाति में इरुसिक अम्ल की मात्रा 40 प्रतिशत तक तथा ग्लूकोसिनोलेट 120 पीपीएम तक होती थी।

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