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सोशल मीडिया पर इनदिनों सबसे छोटे कद की आईएएस बताते हुए एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। छोटे कद को आज भी समाज में एक बड़ी शारीरिक कमजोरी के रूप में देखा जाता है। 18 जुलाई 1979 को उत्तराखंड के देहरादून की विजय कॉलोनी निवासी कर्नल राजेंद्र डोगरा और निजी स्कूल में संस्था प्रधान कुमकुम के घर बेटी पैदा हुई। नाम रखा आरती डोगरा। इसकी दो वजह थी। पहली वजह थी आरती डोगरा का कद महज 3 फीट 2 इंच होना। दूसरी वजह थी उनकी लोकप्रियता और काम करने का अलग अंदाज। यही इनकी पहली संतान थी। तस्वीर को खूब शेयर किया जा रहा है। इस महिला अफसर के जज्बे को भी सराहा जा रहा है। धीरे-धीरे उम्र बढ़ती गई, मगर तीन ​फीट 6 इंच के बाद कद नहीं बढ़ा

डॉक्टर्स ने आरती डोगरा के जन्म पर कहा था कि यह बच्ची सामान्य जिंदगी नहीं जी पाएगी। वहीं, लोगों ने भी ताने कसे थे। इसे परिवार के लिए बोझ बताया। यहां तक की आरती डोगरा के माता-पिता की दूसरी संतान पैदा करने की नसीहत दे डाली थी, मगर उन्होंने इसी इकलौती बेटी को कामयाब बनाने की ठानी और नतीजा यह है कि आज आरती डोगरा आईएएस अफसर हैं।

देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉप कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की। फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए देहरादून चली गईं। वहां इनकी मुलाकात उत्तराखंड की पहली महिला आईएएस मनीषा पंवार से हुई। उनसे आरती को यूपीएससी की तैयारी की प्रेरणा मिली। आरती भले ही कद में छोटी हों, लेकिन काम उनके बड़े हैं। आरती डोगरा का परिवार देहरादून की विजय कॉलोनी में रहता है। पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा और मां कुमकुम की वह इकलौती बेटी हैं।

आरती डोगरा के पिता आर्मी ऑफिसर और मां स्कूल टीचर थीं। उनकी पैदाइश के बाद ही लोगों ने शारीरिक बनावट को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। लेकिन माता-पिता ने तय किया कि उनकी बेटी सामान्य स्कूल में अन्य बच्चों के साथ पढ़ाई करेगी। राजस्थान कैडर की ये अफ़सर जिस तरह काम कर रही हैं, उनकी हर कोई तारीफ़ कर रहा है। आईएएस मनीषा पंवार से मुलाकात ने आरती डोगरा की जिंदगी को एक नई दिशा दे दी। आरती यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं और 2005 में पहली बार परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में अखिल भारतीय स्तर पर 56वीं रैंक हासिल आईएएस बनीं और राजस्थान कैडर चुना। 

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