झारखंड को बिहार से जोड़ने के लिए सोन नदी पर तकरीबन 2000 करोड़ रुपये की लागत से पुल बनाया जाएगा. बिहार सरकार ने इसकी घोषणा की है. रिपोर्ट की मानें तो गढ़वा के श्रीनगर और रोहतास के नौहट्टा को जोड़ने के लिए सोन नदी पर 2 साल में पुल का निर्माण किया जाना है. बिहार राजय पुल निर्माण निगम की ओर से इस बाबत टेंडर भी जारी कर दिया गया है. सोन नदी पर पुल बन जाने से बिहार और झारखंड के लोगों को एक से दूसरे राज्‍य जाने में काफी सहूलियत होगी. श्रीनगर-पंडुका पुल का दोनों राज्‍यों के लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं |

स्थानीय लोगों में भी पुल बनने को लेकर इलाके में खुशी के साथ उन्नति की बात कह रहे हैं, जबकि बिहार के उप-मुख्यमंत्री सह कटिहार सदर विधायक तार किशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्र के मोदी सरकार द्वारा दिए गए दो राज्य के लिए यह बड़ी सौगात है, गंगा नदी पर पुल बन जाने से आपसी रिश्तो के साथ साथ व्यापारिक रिश्ते में भी वृद्धि होगी, फिल हाल इस पुल पर काम जारी है। वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता पूर्व जिला अध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि 2017 में माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा शिलान्यास होने के बावजूद भी 2020 तक काम बिल्कुल शिथिल था । इस बीच में लोकसभा में कटिहार के सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी के द्वारा इस संबंध में उठाए गए प्रश्नों पर प्रधानमंत्री कार्यालय सहित संबंधित सारे विभागों में सक्रियता जगी और आज उसका फलाफल है कि मनिहारी साहेबगंज पुल लगभग 20 प्रतिशत का काम पूरा हो चुका है।

दिलचस्‍प है कि डेहरी ऑन सोन के बाद तकरीबन 100 किलोमीटर तक सोन नदी पर पुल नहीं है. इसकी वजह से लोगों को वाहन से पुल पार करने के लिए डेहरी जाना पड़ता है. वहीं, बड़ी तादाद में लोग नाव से भी सोन नदी पार करते हैं. बारिश के मौसम में नाव से सोन नदी पार करना अपनी जान को जोखिम में डालने के समान होता है |

झारखंड को बिहार से जोड़ने वाला 6 किमी लंबा गंगा पुल, 6 किलोमीटर मनिहारी बाईपास का निर्माण और बिहार में नरेनपुर के पास 4 लेन के मानक को समाप्त करने वाला एनएच 131 ए का चौड़ीकरण शामिल है, जिसका निर्माण कार्य जारी है। 6 अप्रैल 2017 को साहिबगंज के पुलिस लाइन मैदान की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहिबगंज मनिहारी गंगापुल का शिलान्यास किया था। लोगों में एक आस जगी कि अब गंगा पुल बन जाएगा। इस गंगापुल का कई बार टेंडर हुआ। सबसे पहले चीन और भारत की कंपनी चेक-सोमा को टेंडर मिला, लेकिन भारत और चीन के बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने चीन की कम्पनी का टेंडर रद्द कर दिया। इसके बाद 2020 में गंगा पुल का टेंडर हुआ, जिसमें भोपाल की कंपनी ने टेंडर हासिल किया।

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