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अपने पुरखो की याद में तर्पण की पौराणिक परम्पराव का निर्वहन सदीओ से हो रहा परन्तु मोहनपुर के पर्यावरण सेवी सुजीत कुमार भगत ने इसके लिए एक अनूठी पहल स्टार्ट की है | सुजीत अपने पिता के निधन के बाद गंगा तत पर मुखागिन देने की धार्मिक परम्पराओ के निर्वहन के साथ ही उनकी याद में उनकी अन्त्योष्टि दिन से दौद्षा के एक प्रतिदिन अलग – गावों में जा कर अपने पिता के याद के लिए एक पौधा लगाये है |

रामचंद्र पुर दशहरा निवाशी सुजीत के पिता सेवा इर्वित शिक्षक गणेश भगत का निधन 15 दिन पूर्व हो गया था | पर्यावरण संरक्षण के कार्यो में उनके पिता की सहयोगात्मक भूमिका तथा सदियों तक अपने पिता के याद को संजोये रखने के लिए उन्होंने एक अहम् और बहुत की पर्यावरण के लिए महतवपूर्ण फैसला लिए है | इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने सैकड़ो पौधों लोगो को देकर उनसे भी लगाने की अपील की | इसी वर्ष उनके पिता अपने ७५वे जन्म दिवस पर 20 जनवरी से प्रतिमाह ११ लोगो को २०० रुपये पेंसन दिए जाने की शुरुआत की थी | अपने पिता की याद में उनके अंतिम संस्कार के वक़्त स्वेट वस्त्र धारण कर सुजीत गंगा तट पर पहला पीपल की पेड़ लगया |

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