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जैसा की हमलोग जानते है किन्नरों को हमारे समाज में उपेक्षित और तिरस्कृत दृष्टि से देखा जाता है। यदि किसी के घर किन्नर बच्चा जन्म ले ले, तो वह शर्म और समाज के तानों के भय के मारे चैन से जीवन भी नहीं जी सकता है। और उसे मजबूरन में अपने परिवार से अलग करना पड़ता है | और उसको किन्नर समाज में दे दिया जाता है |

हमारे संविधान ने सबको एक रंग सम्मान दी है चाहे वो कोई जात कोई मजहब या कोई धर्म का हो उसे सब अधिकार दिया गया है | ऐसे में ही हमारे समाज में ही जब किसी किन्नर का जन्म होता है तो लोग उसे ताना मरते है और उसका मजाक उड़ाते है लेकिन यही सब के बिच एक किन्नर ने बैसे घटिया मानसिकता वाले लोगो को मुहतोड़ जवाब दी है |

वो सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि सारे किन्नर समाज को एक सबक दे दी है जो हमलोग भी पढेंगे हमलोह भी आगे बढ़ेंगे दरअसल हम बात कर रहे है | इता मंडल की जिसने न्यायधीश बनकर सारे घटिया सोच वाले लोगो के ऊपर तमाचा मारी है | ऐसा कहे तो उसने इतिहाश रच दी है |

बता दे की जोइता मंडल पश्चिम बंगाल की निवासी है जिनका उम्र लगभग ३० वर्ष की है जिन्हें भारत की पहला किन्नर की ख़िताब हाशिल की है | उनका जीवन बहुत ही संघर्षो से गुजरा है | और वो बताती है की हमने अपनी जीवन में बहुत दुःख की सामना की है जिसका नतीजा है की आज हम यहाँ तक पहुंचे है |

जोइता मंडल (Joyeeta Mondal) का कहना है कि उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में कभी भी हार नहीं मानी तथा हर परेशानी का सामना किया। उन्होंने अपनी हर समस्या को अपने लिए कामयाबी का एक रास्ता मानकर उसका मुकाबला किया। आप लोग उन पर गर्व करते हैं तथा कोई उनकी उपेक्षा नहीं करता। जो लोग पहले उनका मज़ाक बनाया करते थे और तिरस्कार करते थे, आज जब जोइता अपनी सफेद कार लेकर उन इलाकों से गुज़रती हैं तो उन्हें ख़ुद पर गर्व का अनुभव होता है।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.