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एक लड़की जो पढऩा चाहती थी। उसे अपनी करियर की चिंता थी। वह जीवन में आगे बढऩा चाहती थी। कुछ करना चाहती थी, पर अपने ही उसकी राह में रोड़ा बने हुए थे। लेकिन मन में हौसला और कुछ कर गुजरने की प्रतिबद्धता ने उसे बड़ा कदम उठाने के लिए विवश कर दिया। सुल्तानगंज (Sultanganj) प्रखंड क्षेत्र के जहांगीरा गांव की नेहा कुमारी ने जिंदगी का अहम फैसला करते हुए जीवनसाथी और करियर में से करियर को चूना।

आपको बता दे की नेहा (neha) पढ़-लिखकर कुछ करना चाहती थी, लेकिन घर वालों ने उसकी पढ़ाई से ज्यादा उसके घर बसाने को ज्यादा जरूरी समझा। मां-बाप ने डेढ़ माह पूर्व उसका विवाह घोरघट के सुनील कुमार (sunil kumar) कर दिया। उसे उम्मीद थी |

कि मायके में नहीं तो हो सकता है कि ससुराल में उसके पति और अन्य लोग उसकी भावनाओं को समझ सकें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ससुराल वालों ने उसकी पढ़ाई पर रोक लगा दी। नेहा (neha) को पढ़ाई का बहुत शौक था। अपने सपनों को संजोना चाहती थी।

अपने हौसलों को उड़ान देना चाहती थी, लेकिन घर के चारदीवारी के बीच वह मजबूर थी। वह मजबूर थी अपने ससुराल वालों के सामने। वह मजबूर थी अपने पति के सामने। वह मजबूर थी रिश्तों के सामने। ऐसे में करियर के प्रति लगन ने सोचने को विवश कर दिया। वह मौका देख ससुराल से भागकर वह पटना पहुंच गई।

मामले की जानकारी मिलते ही विवाहिता के पिता ने सुल्तानगंज थाने में बेटी के अपहरण का मामला दर्ज करा दिया। नेहा को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह पटना से अपने घर पहुंची और अपने पिता को बताया कि किसी ने उसका अपहरण नहीं किया है वह पढऩे के लिए पटना गई थी। ससुराल वाले उसे पढऩे नहीं देते आगे पढ़ाई करने पर मना करते हैं। इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया है।

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