इस शख़्स ने अपनी ‘जुगाड़’ तकनीक से आधा कर दिया पेट्रोल का खर्च, CM द्वारा मिल चुका है पुरस्कार

दोस्तों, हमारे देश में तरह-तरह के सस्ते जुगाड़ लगाकर बड़े खर्चों से पीछा छुड़ाते हुए आपने देखा होगा। अगर कहा जाए कि जुगाड़ तकनीक में भारतीयों का दिमाग़ सबसे तेज चलता है तो ग़लत नहीं होगा। पेट्रोल के बढ़ते दाम देखकर हम ज्यादातर माइलेज देखकर ही गाड़ी खरीदते हैं और फिर भी सोचते हैं कि काश ऐसा कोई जुगाड़ हो जाता है जिससे पेट्रोल के झंझट से छुटकारा मिल पाता।

ऐसा ही एक शानदार जुगाड़ तकनीक का ईजाद किया है कौशांबी के रहने वाले विवेक पटेल (Vivek Patel) ने, जिन्होंने एक ऐसी टेक्निक खोज निकाली है, जो फ्यूल इंजेक्शन तकनीक पर आधारित है और कार्बोरेटर जेट लगाने के बाद टू व्हीलर्स की एवरेज को दोगुना कर देती है। जिससे पेट्रोल का ख़र्च भी केवल आधा लगता है। हालांकि अभी उनकी इस टेक्निक के प्रमाणीकरण के लिए आटोमोबाइल सेक्टर के स्पेशलिस्ट द्वारा चेक करके प्रमाणित करना बाक़ी है। इस टेक्निक को पेंटेंट कराने के लिए आवेदन प्रक्रिया भी चल रही है।

कई लोगों को मिला विवेक की इस टेक्निक का फायदा

विवेक की इस तकनीक से बहुत से लोगों को फायदा मिला। संगमनगरी के धूमनगंज के रहने वाले अंकुश कुमार, जो पहले पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से परेशान रहते थे, अब उनकी परेशानी दूर हो गई है। असल में, उनकी स्कूटी जहाँ 6 माह पूर्व तक 1 लीटर पेट्रोल में औसतन 40 से 45 किलोमीटर चला करती थी, वह अब 75 से 80 किलोमीटर तक चलती है। ऐसा ही कुछ चौफटका के रहने वाले संतोष कुमार के साथ भी हुआ। उनकी कम माइलेज देने वाली बाइक, जो कुछ माह पूर्व 50 किलोमीटर तक ही चलती थी, वह भी अब मात्र 1 लीटर पेट्रोल में 100 किमी चल जाती है।

दो दशकों की कोशिश के बाद मिली कामयाबी

कौशांबी के गाँव पिपरी पहाड़पुर के रहने वाले विवेक पटेल की उम्र 40 साल है और वह केवल 12 वीं तक पढ़े हैं, लेकिन फ्यूल इंजेक्शन टेक्निक में नए वैरियंट (कार्बरेटर जेट) को बनाने वाले विवेक की यह शानदार तकनीक बड़े काम की है। हालांकि, टू व्हीलर्स का माइलेज बढ़ाने के लिए वे लगभग दो दशकों से प्रयास कर रहे थे, परंतु अब जाकर हाल ही के कुछ साल में उन्हें सफलता मिली। वैसे विवेक अपने परिवार को पालने के लिए घरों में शटरिंग का कार्य किया करते हैं, पर इसके साथ ही वे अपनी जुगाड़ तकनीक पर भी मेहनत करते रहते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा मिल चुका है पुरस्कार

विवेक को सबसे पहले साल 2016 में दो पहिया वाहन का माइलेज बढ़ाने में कामयाबी मिली थी। उनके इस कार्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ़ से प्रोत्साहन स्वरूप उन्हें 25 हज़ार रुपये का नवोन्मेषक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था, जो उन्हें दिनांक 23 अक्टूबर, 2018 को स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदान किया था। यह पुरस्कार मिलने से वे प्रोत्साहित हुए।

आपको बता दें कि उन्होंने करीब 1 साल में ही अपने माइलेज बढ़ाने वाले यंत्र कार्बरेटर जेट को पांच सौ टू व्हीलर्स में लगाया है। कार्बरेटर जेट लगने के बाद यह वाहन चलाने वाले लोगों ने बताया कि उनको इससे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आयी है। यद्यपि, कई लोग ऐसी शंका कर रहे हैं कि सम्भवतः इससे इंजन पर असर होने की संभावना है।

इस तरीके से काम करती है यह टेक्निक

जो लोग आटोमोबाइल सेक्टर से सम्बंधित काम करते हैं, उन्हें पता ही होगा कि फ्यूल इंजेक्शन तकनीक द्वारा ही टू व्हीलर्स के इंजन में पेट्रोल जा पाता है। उसमें वाष्पीकरण होने पर ही इंजन चलता है। विवेक ने बताया कि इसमें जो कार्बरेटर जेट लगे होते हैं, उसके सबसे नीचे के भाग में करीब 2 मिलीमीटर व्यास का छेद होता है, जिससे आधा पेट्रोल बेकार चला जाता है। पेट्रोल बर्बाद ना हो, इसके लिए कार्बरेटर जेट में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। विवेक उसमें नीचे के भाग में छेद को बंद करके उसके ऊपर आधे से एक मिलीमीटर व्यास जितने दो छोटे छेद बना देते हैं। ऐसा करने पर उसमें सारे पेट्रोल का उपयोग होने लग जाता है।

वाराणसी के रहने वाले IIT-BHU के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर व आटोमोबाइल विशेस्पेशलिस्ट डॉ. रश्मि रेखा साहू बताती हैं कि “कार्बरेटर सिस्टम को फ्यूल इंजेक्शन में परिवर्तित करने की जो यह टेक्निक विवेक ने खोजी है, वह आने वाले समय में बहुत कारगर सिद्ध होगी। असल में इस टेक्निक द्वारा ईंधन की छोटी-छोटी बूंदे बन जाती हैं तथा इंजन के भीतर तेजी से फैलते हैं। इस तकनीक से ईंधन की दक्षता में भी सुधार आता है और व्हीकल का माइलेज भी बढ़ता है। इस टेक्निक से गाड़ी को स्टार्ट करने पर उसमें कूलिंग व हीटिंग जैसी परेशानी भी नहीं आएगी। साथ ही वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन भी कम होने लगेगा। मेरा ऐसा भी मानना है कि आटोमोबाइल इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में यह टेक्निक भविष्य में अच्छा मुकाम प्राप्त करेगी।”