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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहनेवाले गंगाराम चौहान, वैसे तो साइकिल-रिक्शा मैकेनिक हैं, लेकिन इसके साथ ही, वह एक जाने-माने, सफल इनोवेटर भी हैं। चौंक गए न! अब तक गंगाराम करीब 30 इनोवेशन्स कर चुके हैं। हाल ही में, वह अपने नए इनोवेशन के लिए चर्चा में हैं। उन्होंने साइकिल से चलनेवाली एक आटा चक्की (Cycle Atta Chakki) बनाई है, जिसमें आप कोई भी अनाज पीस सकते हैं।

गंगाराम ने बताया, “पिछले लॉकडाउन के दौरान लोगों को आटा पिसवाने में दिक्कत हो रही थी। तब मैंने सोचा कि क्यों न साइकिल से ही चक्की बनाने का प्रयास किया जाए। इसके लिए ज़रूरी सामान इकट्ठा करने के बाद, आटा चक्की तैयार करने में मुझे करीब दो महीने का वक्त लगा।“

उन्होंने इसे साल 2020 में बनाया था। यह चक्की मानव श्रम पर आधारित है। इस मशीन से आटा पीसने के कारण, एक तो शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है और आप जो भी अनाज पीसना चाहें, उसे पीस भी सकते हैं। 

एक चक्की की कीमत 15000 रुपये

गंगाराम की इस इको-फ्रेंडली, साइकिल से चलनेवाली चक्की को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। एक आटा चक्की की कीमत 15 हजार रुपये है। वह अब तक ऐसी पांच चक्की बेच चुके हैं।

वह बताते हैं, “साइकिल-रिक्शा बनाते-बनाते, मैं कब इनोवेटर बन गया, पता ही नहीं चला। मैकेनिक होने के कारण, मेरे पास औजार थे। बस नए-नए आइडियाज़ आते रहे और मैं उसको रूप देता रहा।” 

अपने नवाचार के ज़रिए सिर्फ शोहरत कमाना ही गंगाराम का उद्देश्य नहीं है। वह भविष्य में कई और इनोवेशंस करके ग्रामीण इनोवेटर्स को बढ़ावा देना चाहते हैं। 

गंगाराम का मानना है कि आविष्कारक को हमेशा नए प्रयोग करने चाहिए। इसके बारे में वह कहते हैं, “एक शब्द है ‘कठोर’। इस शब्द को उलट दें, तो ‘ठोकर’ शब्द भी बन सकता है। मेरा मानना है कि नवाचारी को जितना ठोकर मारेंगे, उतना ही वह कठोर होगा। वह कठोर होगा तो कोई न कोई नवाचार जरूर कर देगा।”

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.