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मध्य प्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले निरीश राजपूत की भी ऐसे ही कुछ कहानी है जिन्होंने अपने लगन और पारिवारिक सहयोग से सिविल सर्विसेज परीक्षा में 370 रैंक हासिल की। निरीश एक बेहद गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता विरेंद्र राजपूत पेशे से एक टेलर हैं और उनके दोनों बड़े भाई टीचर हैं। निरीश के पिता और उनके भाइयों ने अपनी सारी बचत निरीश का सपना साकार करने में लगा दिया। निरीश को यह तो नहीं पता था कि आईएएस की पढ़ाई कैसे करते हैं लेकिन इतना ज़रूर पता था कि आईएस बनने के बाद ज़िंदगी बदल जाती है।

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निरीश की प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से हुई। फिर वह ग्रेजुएशन करने के लिए ग्वालियर चले गए थे। उन्हें अपना सपना पूरा करने के लिए बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्होंने अखबार बेचने का भी काम करना पड़ा। खास बात यह है कि इतनी कठिनाइयों के बाद भी उन्होंने B.sc और M.sc दोनों में ही टॉप किया।

निरीश के जीवन में एक ऐसा भी मोड़ आया जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। उनके एक दोस्त ने उत्तराखंड में नया कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला था। उस दोस्त ने निरीश को कोचिंग में पढ़ाने के लिए कहा और इसके बदले में स्टडी मटेरियल देने का वादा किया था। दो साल बाद जब कोचिंग इंस्टीट्यूट चल पड़ा तो उस दोस्त ने नीरीश को जॉब से ही निकाल दिया। इस घटना से निरीश बेहद आहत हो गए थे। इसके बाद वह दो साल तक कुछ भी नहीं कर पाए। उन्होंने इस धोखे से सबक लिया और दिल्ली चले आए।

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