apanabihar 9 18

वर्तमान समय में महिलाएँ ना सिर्फ़ अपने घर की जिम्मेदारी भली-भांति संभाल रही हैं बल्कि ज्यादातर कामकाजी महिलाएँ तो घर व बाहर दोनों ही जिम्मेदारियाँ एक साथ निभा कर अपनी लगन और इच्छाशक्ति का परिचय दे रही हैं। जबकि शहर में रहने वाली या पढ़ने वाली महिलाओं या लड़कियों के बारे में लोग ज्यादातर ऐसा कहते हैं कि शहरों में पढ़ाई करने वाली मॉर्डन लड़कियाँ गाँव की ज़िन्दगी के बारे में नहीं समझ सकती हैं और ना ही गाँव में रह सकती हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। चाहे गाँव से हों या शहर से, आज की महिलाएँ घर से बाहर भी करीब हर क्षेत्र में पुरुषों के समान ही अपनी सहभागिता दर्ज कर रही हैं।

हमारे देश में भी इसके बहुत से उदाहरण देखे जा सकते हैं। इसी दिशा में एक 24 वर्षीय युवती शहनाज खान (Shahnaaz Khan) ने भी गाँव की ही नहीं बल्कि राजस्थान में सबसे छोटी उम्र की सरपंच बनकर एक कीर्तिमान रच दिया। शहनाज़ ने MBBS की पढ़ाई पूरी की और फिर गाँव आकर सरपंच बनीं और उस गाँव की पूरी कायापलट कर दी। चलिए जानते हैं शहनाज ने डॉक्टर से सरपंच बनने का सफ़र क्यों और कैसे तय किया…

शहनाज खान (Shahnaaz Khan) ने 195 वोटों से हासिल की जीत

शहनाज खान (Shahnaaz Khan) राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर जिले के छोटे से गाँव कामा से सम्बन्ध रखती हैं। 5 मार्च को सरपंच पद के लिए उन्होंने चुनाव लड़ा और अपनी जीत दर्ज करके गाँव की सरपंच बन गईं। उनके यहाँ जब सरपंच के पद हेतु उप चुनाव का परिणाम आया तो उसमें शहनाज ने अपने प्रतिद्वंद्वी पक्ष के व्यक्ति को 195 वोटों से हराकर विजय प्राप्त की थी।

शहनाज़ का कहना है कि वे सर्वप्रथम गाँव की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काम करेंगी। वे बालिकाओं के लिए चलाए जा रहे अभियान “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” तथा “सर्व शिक्षा अभियान” के बारे में अपने गाँव के लोगों को जागरूक कर्रके हर घर तक शिक्षा पहुँचाएंगी। जिससे सभी लोग बेटियों की शिक्षा की आवश्यकता को जान पाएंगे।

शहनाज़ यह भी मानती हैं कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लोग शिक्षा, राजनीति व आर्थिक तौर पर काफ़ी पिछड़े हुए हैं। वे इस पिछड़ेपन को समाप्त करके गाँव का हर क्षेत्र में विकास करना चाहती हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि वे कोशिश करेंगी कि सड़क, बिजली, पानी जैसी आवश्यक बुनियादी सेवाओं को लोगों को उपलब्ध करवा पाएँ। इसके साथ ही वे स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में भी काम करना चाहती हैं और लोगों को स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना चाहती हैं।

सरपंच रह चुके अपने दादाजी से मिली प्रेरणा

शहनाज ने बताया कि राजनीति क्षेत्र में आने का निर्णय उन्होंने अपने दादाजी से प्रेरणा लेकर लिया था। वे कहती हैं कि पूर्व में मेरे दादाजी इस गाँव के सरपंच रह चुके हैं। परन्तु साल 2017 में कुछ कारणों से कोर्ट ने उनके निर्वाचन को स्थान न देते हुए याचिका को खारिज कर दिया गया था। फिर उनके परिवार और गाँव में चर्चा होने लगी कि अब चुनाव कौन लड़ेगा? फिर इसी बीच सभी ने कहा कि उन्हें सरपंच बनने के लिए चुनाव में खड़ा किया जाना चाहिए।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.