उमा शंकर प्रसाद की कहानी किसी को भी प्रेरणा दे सकती है। उमा शंकर प्रसाद ने UPSC 2019 के सिविल सर्विस एग्जाम में 358 रैंक प्राप्त की। सबसे खास बात है कि उन्होंने ऑप्शनल में मैथली लिटरेचर को चुना था। यहां तक पहुंचने में उमा शंकर ने लंबा संघर्ष भी किया। उनके पिता विद्यालय में प्रिंसिपल थे और मां गृहिणी है। वह बचपन से ही देश की सेवा करना चाहते थे इसलिए उन्होंने IPS बनने का सपना देखा था।

उमा शंकर ने इस एग्जाम के लिए विशेष तैयारी भी की थी। उन्होंने बताया कि 12वीं के बाद उन्होंने IIT खड़गपुर से ग्रेजुएशन की। इसके बाद उनकी नौकरी लग गई और तीन साल नौकरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी में बैठने की तैयारी की। उनका चयन फॉरेस्ट सर्विस में भी हो गया था, लेकिन उन्होंने सिविल सर्विसेस को ही चुना। उमा शंकर कहते हैं कि मैंने मकैनिकल इंजीनियरिंग की थी, लेकिन यूपीएससी में इसे नहीं चुन सकते। जिसकी वजह से फिर मैंने मैथली को चुना।

उमा शंकर प्रसाद कहते हैं, ‘मैथली का सिलेबस बहुत कम है। क्योंकि यूपीएससी के लिए टाइम मैनेजमेंट भी एक बड़ी चुनौती होती है। इसलिए मैंने समय बचाने के लिए इसे चुना था। मैथली मुझे लिखनी नहीं आती थी। लेकिन फिर भी मेरा बैकग्राउंड मैथली का था इसलिए मैंने इसे चुना। सबसे पहले, इस भाषा को पढ़ने में बहुत कम लगेगा और ज्यादा से ज्यादा आपको इसे पूरा करने में सिर्फ साढ़े तीन से चार महीने ही लगेंगे।’

उमा शंकर ने मैथली को बताया आसान: उमा शंकर ने बताया, ‘अगर आप इस सब्जेक्ट को कम समय में पढ़ लेते हैं तो दूसरे सब्जेक्ट्स के लिए आपको आराम से समय मिल जाएगा। अगर मैंने इस भाषा को नहीं चुना होता तो शायद मेरा भी चयन इसमें न हुआ होता। इस भाषा को समझने के लिए आपको कोई बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। ये भाषा बहुत आसान भी है। आप इस भाषा को यूपीएससी और बीपीएससी दोनों ही भाषाओं में लिख सकते हैं।’

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