2 साल की पाखी कुमारी को उनके परिवार वालों ने छोड़ दियाथा. वह बिहार के मुजफ्फरपुर के एक अनाथालय में रह रही थीं. लेकिन, अब उन्हें पश्चिम बंगाल की रहने वाली रीना और सुदिप्ता पाल ने गोद ले लिया है. 

इसी बीच अमेरिका का एक कपल जिसे कोई बच्चे नहीं था, उसने अनाथालय से संपर्क किया और एक 2 साल की बच्ची काव्या को गोद ले लिया.

अब एक ऐसा ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि लोग लड़कों की तुलना में लड़कियों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. ये समाज की बदलती मानसिकता की एक अच्छी निशानी है.

काउंसिलिंग का महत्व

सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के डायरेक्ट राज कुमार कहते हैं, यहां काउंसलिंग का बड़ा ही महत्व है.  CERA पोर्टल के जरिए पेरेंट्स रजिस्ट्रेशन कराते हैं और अपने च्वॉइस के बारे में बताते हैं. इसके बाद वे बिहार के अलग-अलग अनाथालय में पहुंचते हैं.

ये रहे आंकड़े

सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के मुताबिक़, साल 2018-19 में 210 बच्चों को गोद लिया गया है. इसमें 148 बच्चियां हैं. इसमें 71 देश में ही और 39 देश के बाहर के लोगों ने गोद लिया है. वहीं, साल 2019-20 में 120 बच्चों को गोद लिया गया है, जिसें 82 लड़कियां हैं.

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