पानी को संरक्षित कर सब्जी और पशुओं के लिये हरे चारे का उत्पादन का नवाचार करने के लिये बांका के कटोरिया स्थित मेढा गांव की प्रगतिशील किसान वंदना कुमारी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है़. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के 93वें स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री की मौजूदगी में उनको पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया़. आइसीएआर द्वारा शुक्रवार को महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा की अध्यक्षता में हुए ऑनलाइन समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वंदना को एक लाख रुपये का चेक और प्रशस्ति पत्र पदान किया़.

इंटीग्रेटेड फार्मिंग में बिहार को दी नयी पहचान

कृषि विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार वंदना ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग में बिहार को नयी पहचान दी है़. छत के पानी को एकत्रित कर उसका उपयोग पशुपालन के लिए किया़ . पशुपालन के बेकार पानी से हरा चारा उगाया और किचेन गार्डेन का नया मॉडल बनाया़. गांव की दो दर्जन से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दिया़.

सालाना 16 लाख रुपये से अधिक तक आय

इस तरह सालाना 16 लाख रुपये तक आय की़ नवाचार का सिलसिला यहीं नहीं रुका़.मक्के के डंटल का यूरिया से उपचार कर उसे पशुओं के चारा में तब्दील कर दिया़. इससे दूध उत्पादन के साथ आय में भी वृद्धि हुई़. दूध में प्रोटीन की मात्रा भी छह प्रतिशत बढ़ गयी. पशुओं के चारे के लिए उसने पलास के पते का सइलेज बनाया.

वंदना का दस गायों का है मॉडल

खेती की एकीकृत और टिकाऊ मॉडल को विकसित करने वाले छोटे किसानों को केंद्र सरकार प्रोत्साहित करने के लिए दीनदयाल पुरस्कार प्रदान करती है़. वंदना का मॉडल पूरे देश में प्रथम चुना गया़. इस मॉडल के तहत छत के पानी को पाइप से संरक्षित कर 10 गायों के पालन में प्रयोग किया जाता है़. इसके बाद इस पानी से एक एकड़ में 10 पशुओं के लिए हरा चारा का उत्पादन किया जा रहा है़.

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