blank 12 24

‘हम ब्रम्हभोज या मृत्यु भोज में बेजा खर्च नहीं करेंगे, उन पैसों से हम बच्चों को पढ़ाएंगे और बुजुर्गों की सेवा करेंगे’- ये ऐलान या यूं कह लें कि सामाजिक रूढ़ीवादिता के खिलाफ एक बिगुल है, जो हजारीबाग के रविदास समाज (Ravidas Samaj) ने फूंका है. इस समाज के लोगों का प्रतिकार है, दकियानुसी विचार, सामाजिक आडंबर और ढकोसलों पर प्रहार है.

हमारे समाज में सरलताएं हैं तो समय-समय पर इसकी जटिलताएं भी सामने आती हैं. रीति-रिवाज (Customs and Traditions), रस्म अदायगी की बानगी ऐसी है कि कभी-कभी ये किसी परिवार के लिए गले की फांस बन जाता है. लेकिन अब इसका प्रतिकार हो रहा है. रविदास समाज ने ऐसी ही एक सामाजिक रूढ़ीवादिता (Social conservatism) पर प्रहार किया है. उन्होंने मृत्यु के बाद कराए जाने वाले ब्रम्हभोज या मृत्यु भोज का बहिष्कार का फैसला लिया है.

हजारीबाग के सुदूरवर्ती पदमा पंचायत के सरैयाडीह के रहने वाले रविदास समाज के लोग अब मृत्यु उपरांत ब्रह्म भोज का बहिष्कार करेंगे अर्थात वह अपने समाज में अब ब्रह्म भोज या मृत्यु भोज नहीं कराएंगे, बल्कि उन बचे हुए पैसों का उपयोग घर के बच्चे के पठन-पाठन और बुजुर्ग की सेवा में खर्च करेंगे.

बदलाव की बयार

बदलाव कहीं से भी हो सकता है, जरूरत है आत्मविश्वास की सकारात्मक सोच की. हजारीबाग के सुदूरवर्ती पदमा पंचायत के सरैयाडीह के रहने वाले रविदास समाज के लोग बैठक कर यह निर्णय लिया है कि मृत्यु होने पर मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेंगे. इस संबंध में समाज के बुद्धिजीवियों ने बैठक भी की. जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि मृत्यु भोज करने में लाखों रुपया खर्च होता है.

अब मृत्यु भोज में खर्च नहीं करेंगे पैसा

अब समाज के लोग जो पैसा मृत्यु भोज में खर्च करते थे, उनसे अब बच्चों की शिक्षा और अन्य मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया जाएगा. साथ ही साथ परिवार में वैसे बुजुर्गों जो अस्वस्थ हैं, उनकी सेवा में ये पैसा खर्च किया जाएगा. रविदास समाज के लोगों का कहना है कि इस प्रथा के बंद होने से समाज में फिजूलखर्ची पर रोक लगेगी और लोगों का जीवनस्तर भी ऊंचा होगा.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.