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डॉक्टर बनने का सपना लिए हर साल लाखों बच्चे नीट की परीक्षा में शामिल होते हैं। विद्यार्थियों का सपना होता है कि वे मेडिकल की पढ़ाई देश के टॉप कॉलेज AIIMS से करें। ऐसा ही एक सपना लिए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की आकांक्षा सिंह भी बड़ी हुई।

उत्तर प्रदेश  के कुशीनगर  जिले में स्थित अभिनायकपुर एक गांव है जहां की निवासी आकांक्षा सिंह ने NEET परीक्षा में 720 में से 720 नंबर हासिल किए। आकांक्षा हाईस्कूल में थी तब से नीट (NEET) की परीक्षा की तैयारी लग गई थी। आकांक्षा ने बताया कि वह नीट (NEET) की तैयारी के लिए हर रोज 70 किलोमीटर दूरी तय कर कोचिंग करने गोरखपुर जाती थी। उसके पश्चात आकांक्षा दिल्ली चली गई और वहीं से उन्होंने 11वीं तथा 12वीं की पढ़ाई पूरी की और नीट (NEET)की तैयारी करने लगी।

आकांक्षा की माता पेशे से टीचर है और उनके पिता भूतपूर्व सैनिक।

आकांक्षा की मां अपने गांव की प्राथमिक स्कूल की टीचर है और उनके पिता भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड सार्जेंट है। अपनी बेटी की इस कामयाबी से उनके माता-पिता बेहद खुश हैं। कुछ दिनों पहले शुक्रवार को जब आकांक्षा के परिणाम टॉप के लिस्ट में आया तब उन्होंने खुशी में सम्पूर्ण गांव वालों को मिठाई खिलाई और अपनी खुशी जाहिर की।

दिल्ली स्थित एम्स बना आकांक्षा के प्रेरणा का स्रोत

आकांक्षा कहती हैं कि मैंने 8वीं कक्षा तक सिविल सर्विस के बारे में सोचा था। परंतु दिल्ली स्थित एम्स मेरे प्रेरणा का स्रोत बना। आकांक्षा कहती हैं कि जब वह 9वीं क्लास में थी तो ऐम्स को अपना सपना मानकर नीट की तैयारी में लग गई थी। कुशीनगर में 10वीं तक पढ़ाई करने वाली आकांक्षा आकांक्षा अपनी सफलता का श्रेय ईश्वर और अपने माता पिता और खासकर इंस्टीट्यूट को देना चाहती है। 11वीं और 12वीं तक का शिक्षा इन्होंने दिल्ली प्रगति पब्लिक स्कूल से सम्पन्न किया। आकांक्षा गाना सुनना भी पसंद करती हैं।

कम उम्र होने की वजह से आकांक्षा को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ

नीट (NEET) रिजल्ट के अनुसार आकांक्षा दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर शोएब है। आकांक्षा कहती हैं कि मेरी उम्र कम होने के कारण मुझे दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। जहां आकांक्षा की उम्र 17 वर्ष है वही शोएब की उम्र 18 वर्ष के आसपास है इसीलिए उनको फर्स्ट स्थान दिया गया है।

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