blank 9 15

IIM से पढ़ाई और अमेरिका में लाखों के पैकेज वाली नौकरी। फिर ये सब छोड़कर गांव में गाय पालना, खेती करना। थोड़ा अजीब लगता है न, लेकिन यह हकीकत है। राजस्थान में अजमेर की रहने वाली अंकिता कुमावत ने 2009 में IIM कोलकाता से पढ़ाई पूरी करने के बाद जर्मनी और अमेरिका में करीब पांच साल तक जॉब किया। इसके बाद अपने पिता के बुलावे पर इंडिया लौट आईं। अब वे डेयरी फार्मिंग के साथ ही ऑर्गेनिक फार्मिंग और फूड प्रोसेसिंग का काम कर रही हैं। सालाना 90 लाख रुपए उनकी कंपनी का टर्नओवर है।

बेटी बीमार हुई तो पिता ने अपनाई ऑर्गेनिक की राह

मैनेजर से फार्मर बनी अंकिता की कहानी थोड़ी दिलचस्प है। दरअसल, जब वे तीन साल की थी, तब उन्हें जॉन्डिस हो गया था। उनके पिता इंजीनियर थे। वे अंकिता को लेकर अस्पताल गए तो डॉक्टर ने अंकिता को प्योर फूड और प्योर मिल्क देने की बात कही। अंकिता के पिता ने अपने आसपास कई जगह प्योर मिल्क की तलाश की, लेकिन भरोसे वाली कोई जगह नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने खुद ही गाय पाल ली। इसका फायदा भी देखने को मिला और अंकिता जल्द ही ठीक हो गईं।

इसके बाद उनके पिता ने रियलाइज किया कि सिर्फ दूध से काम नहीं चलने वाला है। अच्छी सेहत के लिए बाकी के फूड प्रोडक्ट भी प्योर होने चाहिए। वे खेती करना चाहते थे, लेकिन नौकरी की वजह से उन्हें वक्त नहीं मिल पा रहा था। चूंकि आमदनी का कोई और जरिया नहीं था, इसलिए नौकरी भी जरूरी थी।

अंकिता की नौकरी लगी तो पिता ने अपनी जॉब छोड़ दी
हालांकि अपनी फैमिली के लिए उन्होंने थोड़ी बहुत खेती शुरू की और गाय भी रखना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वक्त बीतते गया और गायों की संख्या भी बढ़ती गई। उन्होंने अपने आसपास भी लोगों को दूध देना शुरू कर दिया। 2009 में जब अंकिता की नौकरी लगी तो उन्होंने खुद की नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा वक्त खेती और गायों के साथ बिताने लगे।

अंकिता कहती हैं कि मैंने जर्मनी और अमेरिका में अच्छी-अच्छी कंपनियों के लिए काम किया। अच्छी-खासी सैलरी भी थी, लेकिन अपने पिता और गांव से कनेक्टिविटी बनी रही। इसलिए 5 साल नौकरी करने के बाद मैंने तय किया कि गांव लौटकर पापा की मदद करनी चाहिए।

नई टेक्नोलॉजी पर दिया जोर

साल 2014 में अंकिता अजमेर लौट आईं। उन्होंने पिता के साथ डेयरी फार्मिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग के काम को समझना शुरू किया। जल्द ही उन्हें रियलाइज हो गया कि इसमें भी बढ़िया करियर अपॉर्च्युनिटीज हैं, बस काम करने का तरीका और मार्केटिंग पर फोकस करना होगा। उन्होंने नई टेक्नोलॉजी पर जोर दिया। सोलर सिस्टम डेवलप किया। ड्रिप इरिगेशन टेक्निक पर इम्प्लीमेंट किया। खेती का दायरा बढ़ा दिया। मवेशियों की संख्या भी बढ़ा दी। साथ ही खुद भी कई संस्थानों से ट्रेनिंग भी ली।

अंकिता कहती हैं कि डेयरी के साथ फार्मिंग करने का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि हमें सही चीजें आसानी से मिल जाती हैं। जैसे गायों के लिए चारे की जरूरत खेती से पूरी हो जाती है। उसी तरह खेती के लिए खाद की जरूरत गाय के गोबर से पूरी हो जाती है। साथ ही हम गो मूत्र का इस्तेमाल पेस्टिसाइड्स के रूप में करते हैं। इससे हम कम लागत में केमिकल फ्री फार्मिंग कर सकते हैं

प्रोडक्शन के साथ प्रोसेसिंग करना शुरू किया

अंकिता ने रियलाइज किया कि सिर्फ प्रोडक्शन से काम नहीं चलेगा। दूध और सब्जियों के साथ ही हर उस चीज का शुद्ध और सही होना जरूरी है, जो एक आदमी अपनी डेली लाइफ में इस्तेमाल करता है। इसके बाद उन्होंने प्रोसेसिंग यूनिट लगवाई और घी, मिठाइयां, शहद, नमकीन, ड्राय फ्रूट्स, मसाले, दालें जैसे प्रोडक्ट तैयार करने शुरू कर दिए। आज उनके पास दो दर्जन से ज्यादा वैरायटी के प्रोडक्ट्स हैं। 50 से अधिक गायें हैं। डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से उन्होंने करीब 100 लोगों को रोजगार दिया है।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.