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कहते हैं कि अगर आप में हुनर है और कुछ करने की चाह है तो कोई भी आपको अपनी एक अलग पहचान बनाने से नहीं रोक सकता है। जरूरी नहीं कि आपने जो पढ़ाई की है, आप उसी में अपना करियर बनाएं बल्कि कई बार आपकी कोई हॉबी भी आपको आगे बढ़ा सकती है। जैसा कि बेंगलुरु में रहने वाली शीतल गरोडिया के साथ हुआ।

कोलकाता में पली-बढ़ी शीतल ने फैशन डिजाइनिंग की हुई है लेकिन, आज वह अपने घर से ही बतौर ‘होम-शेफ’ काम कर रही हैं। उनके फ़ूड बिज़नेस का नाम है- होमस्टाइल फ़ूड बाय होमशेफ शीतल। जिसके जरिए, वह लोगों को अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाकर उपलब्ध कराती हैं।

उन्होंने बताया, “मैंने पढ़ाई के बाद एक फैशन हाउस में काम किया था और फिर शादी हो गयी। 2009 में मेरे पति को नौकरी के लिए, बेंगलुरु शिफ्ट होना पड़ा और उनके साथ मैं भी यहां आ गयी। यहां भी कुछ सालों तक मैं एक प्री-स्कूल में पढ़ा रही थी। लेकिन फिर, अपनी बेटी के जन्म के समय मैंने नौकरी छोड़ दी।”

जैसे-जैसे उनकी बेटी थोड़ी बड़ी हुई तो शीतल को लगने लगा कि उन्हें फिर से काम करना चाहिए। वह कहती हैं कि वह घर पर खाली नहीं बैठ सकती। इसलिए, उन्होंने सोचना शुरू कर दिया कि ऐसा क्या काम है, जो वह घर पर रहते हुए भी कर सकती हैं। और यहां से शुरुआत हुई उनके फ़ूड बिज़नेस की।

व्हाट्सएप से शुरू किया काम: 

वह आगे बताती हैं, “मुझे खाना बनाने का शौक भी था और मेरे हाथ का खाना लोगों को पसंद भी आता था। इसलिए, मैं जब कुछ काम करने के बारे में सोच रही थी तो मुझे लगा कि मैं खाने से संबंधित ही कुछ कर सकती हूँ। फिर हम जिस अपार्टमेंट में रहते हैं, वहां ऐसे घर पर बना हुआ खाना डिलीवर करने की कोई सुविधा भी नहीं थी। इसलिए, मैंने एक ट्रायल लेने का सोचा और अपने अपार्टमेंट के व्हाट्सएप ग्रुप में ही इस बारे में पोस्ट लिख दिया।”

साल 2017 में उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत एक बंगाली डिश, ‘राधावल्लभी’ से की। आज वह तरह-तरह की डिशेज बनाकर अपने ग्राहकों को खिला रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास पूरे दिन का मेन्यू रहता है- नाश्ता, लंच, स्नैक्स और डिनर। उन्होंने दो व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए हैं, जिनमें लगभग 400 सदस्य हैं। वह हर दिन अपना मेन्यू ग्रुप में पोस्ट करती हैं कि उस दिन वह क्या-क्या बना रही हैं। मेन्यू को देखकर लोग उन्हें अपना ऑर्डर देते हैं। वह बताती हैं कि सुबह से रात तक के खाने के लिए, उन्हें हर दिन 50 से ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं। वीकेंड पर यह संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है।

प्रियंका पिछले एक साल से लगातार शीतल को व्यंजनों के ऑर्डर दे रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें शीतल के बारे में एक फ़ूड ग्रुप से ही पता चला, जहां उन्होंने शीतल की एक पोस्ट देखी थी। इसके बाद, उन्होंने उनका खाना एक बार ट्राई करने के बारे में सोचा और अब वह हर हफ्ते उनसे कुछ न कुछ ऑर्डर करती रहती हैं।

शीतल कहती हैं कि उन्हें महीने में लगभग चार हजार ऑर्डर आ जाते हैं। उनके व्यंजनों का मूल्य 50 रुपए से शुरू होता है। वह कहती हैं, “जहां, स्नैक्स के लिए 50-60 रुपए मूल्य है तो वहीं लंच के लिए 100 से 200 रुपए तक का मूल्य है। मैं हमेशा खाने की कीमत यही सोचकर तय करती हूँ कि यह लोगों को बहुत ज्यादा न लगे। इसमें से, मुझे मुनाफा भी हो जाता है और ग्राहकों को भी उनके हिसाब से खाना मिलता है।”

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.