ग्लोबल टीचर प्राइज जीतने वाले पहले भारतीय शिक्षक रणजीत सिंह डिस्ले यानी ‘डिस्ले गुरूजी’ को विश्व बैंक ने सलाहकार नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल जून 2021 से जून 2024 तक रहेगा।

विश्व बैंक ने दुनिया भर के शिक्षकों के ट्रेनिंग की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘ग्लोबल कोच’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के बच्चों की शिक्षा के स्तर को बढ़ाना, शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम में अधिक सामंजस्य लाना, शिक्षकों को समय पर ट्रेनिंग प्रदान करना और ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षकों में नेतृत्व गुणों का विकास करना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दुनिया भर से 12 व्यक्तियों को सलाहकार के रूप में चुना गया है। इनमें ‘डिस्ले गुरूजी’ भी एक हैं।

पिछले साल जीता था 7 करोड़ का इनाम
पिछले साल दिसंबर में यूनेस्को और लंदन स्थित वार्के फाउंडेशन की तरफ से ग्लोबल टीचर प्राइज कांटेस्ट का आयोजन किया गया था। 140 देशों के 12 हजार से ज्यादा टीचर्स इस दौड़ में शामिल थे। सभी को पीछे करते हुए ‘डिस्ले गुरुजी’ ने ‘ग्लोबल टीचर प्राइज’ अपने नाम किया था। उन्हें इनाम में 7 करोड़ रुपए मिले थे। सलाहाकार नियुक्त होने के बाद डिस्ले गुरुजी ने कहा कि वह आईटी आधारित ट्रेनिंग कार्यक्रम बनाकर 21वीं सदी के शिक्षक बनाने का प्रयास करेंगे।

जानवरों को बांधने वाले शेड को स्कूल में बदला
रणजीत को गर्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने और भारत में QR कोड बेस्ड किताबों के अभियान को बढ़ाने के लिए ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए चुना गया। परितेवाड़ी जिला परिषद स्कूल में डिसले ने 2009 में टीचिंग शुरू की थी। तब वहां मवेशियों को रखने के लिए शेड बना हुआ था। रणजीत ने प्रशासन और स्थानीय लोगों से गुहार लगवाकर स्कूल को ठीक करवाया। रणजीत ने बताया, “मुझे नौकरी मिलने की खुशी थी, लेकिन जब मैं स्कूल पहुंचा तो स्कूल के हाल ने मुझे दुखी कर दिया। यह स्कूल कम और बकरियों को बांधने का बाड़ा ज्यादा लग रहा था।”

6 महीने तक बच्चों को नहीं दी किताबें
रणजीत ने आगे बताया, ‘स्कूल आने वाले बच्चों को सिलेबस और किताबों से बोरियत न हो, इसलिए 6 महीने तक उन्हें किताबें खोलने ही नहीं दीं। हम मोबाइल और लैपटॉप की मदद से उन्हें गाने, कहानी और कार्टून दिखाते। साथ ही उनकी नॉलेज बढ़ाने की कोशिश भी करते रहे। बच्चों ने धीरे-धीरे स्कूल आना शुरू कर दिया। लॉकडाउन से पहले तक स्कूल में फुल स्ट्रेंथ में बच्चे पढ़ने आते रहे।’

8 अशांत देशों के लिए बनाई शांति सेना
सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नहीं रणजीत सिंह ने दुनिया के आठ देशों में घूम-घूम कर 5,000 स्टूडेंट्स को साथ लेकर एक शांति सेना बनाई है। ये आठ देश- भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, इजरायल, फिलिस्तीन, अमेरिका और उत्तर कोरिया हैं। इन देशों में शांति स्थापित करने की कोशिश में उन्होंने लेट्स क्रॉस द बॉर्डर प्रोजेक्ट शुरू किया।

साभार – dainik bhaskar

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