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बिहार (bihar) बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सरकार ने माइक्रो कंटेनमेंट जोन की जगह कंटेनमेंट जोन बनाने का फैसला किया लेकिन पटना (patna) में कंटेनमेंट जोन बनाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। दरअसल पटना (patna) में संक्रमण का दायरा इस कदर बढ़ गया है कि प्रशासन परेशान है। हर दस कदम पर यहां संक्रमित मिल रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन की परेशानी यह है कि कंटेनमेंट जोन कहां-कहां और कैसे बनाया जाए।

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कंटेनमेंट जोन बनाने के लिए प्रशासन जिस इलाके में 8 से 10 संक्रमित होते हैं वहां बैरिकेडिंग कर देता है। पटना (patna) के 23 ऐसे इलाके हैं, जहां 100 से अधिक मरीज हैं। ऐसे में अनुमंडल पदाधिकारियों को कंटेनमेंट जोन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। सबसे अधिक कंकड़बाग इलाके में 479 मरीज हैं, जो होम क्वारंटाइन हैं।

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वैसे तो शहरी क्षेत्र के 23 ऐसे इलाके हैं, जहां लगभग पांच हजार मरीज रह रहे हैं। कंटेनमेंट जोन बनाने का मकसद है बीमारी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में नहीं फैले। इसके लिए उस इलाके की बैरिकेडिंग कर दी जाती है, लेकिन पटना में कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है जहां कोरोना संक्रमित नहीं हैं।

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बिहार सरकार के निर्देश पर मंगलवार को जिला प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन बनाने का काम शुरू कर दिया। ऐसे इलाकों में ही कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं, जहां अधिक संख्या में मरीज हैं। मंगलवार को पांच कंटेनमेंट जोन बनाए गए। वर्तमान पटना (patna) में 475 माइक्रो कंटेनमेंट बनाए गए हैं। अथमलगोला के छेदी सिंह का टोला और बख्तियारपुर के रबाइच गांव में कंटेनमेंट जोन बनाया गया।

साथ ही शहरी क्षेत्र अंतर्गत चाणक्य नगर रोड नंबर 1 पप्पू जी के मकान के पास, ट्रांसपोर्ट नगर बैंक ऑफ इंडिया के पास अशोकनगर रोड नंबर 2 को ब्लॉक किया गया है। जिलाधिकारी ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कंटेनमेंट जोन में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने, बैनर लगाने का सख्त निर्देश दिया है।

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