‘जाको राखै साइयां मार सके न कोई’ ये कवात गुलाबो सपेरा पर बिल्कुल फिट बैठता है. आज पद्म सम्मान से सम्मानित गुलाबों के पैदा होने के बाद उन्हें जमीन में गाड़ दिया गया था

उनकी मां और मौसी को वह 5 घंटे बाद मिलीं. उन्हें किसी तरह जमीन के अंदर से निकाला गया

गुलाबो सपेरा की जान ही नहीं बची, इसके बाद गुलाबो ने बड़ी होकर अपनी तरह न जाने कितनी बच्चियों की जिंदगी बचा दी. दशकों से बच्चियों को गाड़ने की आ रही परंपरा पर एक तरह से रोक लगा दी

उनकी प्रगतिशीलता से पूरा गांव और समाज प्रभावित हुआ

राजस्थान के कई हिस्सों में बेटियों के पैदा होने पर उन्हें मार देने की प्रथा थी. इसके पीछे तर्क था कि बेटियों में बहुत कुछ खर्च है. पहले उन्हें पालो, पढ़ाओ और बड़ा करो

इसके बाद दहेज देकर उनकी शादी करो. इसी दकियानुसी सोच ने एक पूरे समाज में लड़कियों के प्रति जहर बो दिया

गुलाबो भी जब पैदा हुईं तो उनके घरवालों ने उन्हें जमीन में गाड़ दिया. लेकिन, भगवान को कुछ और ही करना था. गुलाबो की मां उन्हें खोजने लगीं

इस बीच गुलाबो की मौसी को जानकारी हो गई थी कि उसे कहां गाड़ा गया. वह उसकी मां को लेकर उस जगह पर पहुंच गईं और गुलाबो को जमीने से निकालकर ले आईं

gulabo dance

गुलाबो ने इस डांस को न सिर्फ राजस्थान से बाहर निकाला, बल्कि देश दुनिया में उसे लेकर गईं. इस डांस की ही नहीं अपनी भी एक पहचान बनाई. अपने जाति को नए तरह से दुनिया को देखने की आंखें दी

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