बिहार सहित पूरा देश कोयले की संकट से जूझ रहा है बिहार की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर हो रहा है। खपत की तुलना में बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है। खुले बाजार से बिहार अभी 1000 मेगावाट तक महंगी बिजली की खरीदारी कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। इस कारण राज्य के शहरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति तो लगभग ठीक है लेकिन अर्धशहरी व ग्रामीण इलाके में सात से 10 घंटे तक की लोड र्शेंडग हो रही है। स्थिति सामान्य होने में एक-दो दिनों का अभी समय लग सकता है। किल्लत को देखते हुए बिहार ने केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है।

सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में किसी भी स्थिति में बिजली आपूर्ति को बहाल रखा जाएगा। इसके लिए हम बिहार के लिए दुसरे बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीद रहे हैं। लेकिन इस दावे के बावजूद बिहार में मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हो पा रही है हालांकि राहत की बात यह है कि उद्योगों पर फिलहाल बिजली संकट का असर नहीं पड़ा है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक राज्य (बिहार) सरकार खुले बाजार से अधिक कीमत पर बिजली की खरीदारी कर उद्योगों को दे रही है। बड़ी राहत इस वजह से भी है क्योंकिबिहार में दुर्गा पूजा की वजह से ज्यादातर इंडस्ट्री बंद हैं | और इसीलिए फिलहाल इस संकट का असर वहां नहीं दिख रहा है।

बिहार के मुजफ्फरपुर ग्रिड से उत्तर बिहार के कई जिलों में बिजली की आपूर्ति होती है। इस कारण कई फीडर रोटेशन पर रखे गए। सभी फीडरों को रोटेशन पर दो-दो घंटे बिजली मिली। अन्य जिले में सहरसा को 50 की जगह 35 मेगावाट बिजली मिली। मधेपुरा को 100 के बदले 80 मेगावाट, अररिया को 120 के बदले 100 मेगावाट बिजली मिली। कटिहार को 90 के बदले 75 मेगावाट, बिहार के किशनगंज को 60 के बदले 20 मेगावाट, पूर्णिया को 150 के बदले 110 मेगावाट ही बिजली मिली। उधर लखीसराय को 25 मेगावाट के बदले 20 मेगावाट, खगड़िया को 40 मेगावाट के बदले 15 मेगावाट, मुंगेर को 90 मेगावाट के बदले 70 मेगावाट बिजली मिली। वहीं बांका को 100 मेगावाट के बदले 75 मेगावाट बिजली मिली। औरंगाबाद, बक्सर, सारण, गोपालगंज, गया, जहानाबाद समेत बिहार के अन्य जिले के ग्रामीण इलाकों में घंटों लोडशेडिंग हुई।

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